
चुनाव का क्या मामला है
महाकौशल क्षेत्र में संगठन मंत्री अतुल राय पर भरोसा भाजपा को भारी पड़ा। अपनी जीवनशैली को लेकर चर्चाओं में रहने वाले अतुल राय बागियों को नहीं मना पाए। उनके क्षेत्र में आने वाले छिंदवाड़ा जिले में 6 में से भाजपा सिर्फ 1 सीट पर ही जीत सकी। वहीं मंडला नगर पालिका, निवास नगर परिषद,डिंडौरी के शहपुरा और बालाघाट के बैहर में पार्टी को करारी हार मिली है। राय क्षेत्र में पार्टी नेताओं के बीच गुटबाजी को भी खत्म नहीं कर पाए।
पहली नियुक्ति ही विवादित हो गई थी
ग्वालियर मूल के अतुल राय राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में प्रचारक थे। राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते वो भाजपा में आए। आते ही उन्हे महाकौशल का संगठन मंत्री बना दिया था। इस नियुक्ति के साथ ही अतुल राय के साथ विवाद जुड़ गए थे। भाजपा नेताओं ने उनकी नियुक्ति पर ही प्रश्न उठाए थे। आरोप था कि वरिष्ठ की अनदेखी कर जूनियर को कुर्सी सौंपी गई है। हालात इतने बिगड़े कि अतुल राय का परिचय कराने के लिए खुद सुहास भगत को जबलपुर जाना पड़ा। लेकिन इसके बाद भी संगठन में उपजा असंतोष थमा नहीं। आरएसएस से आए वरिष्ठ संगठन मंत्री भी अतुल राय की नियुक्ति से नाराज थे। रीवा के वरिष्ठ संगठन मंत्री चन्द्रशेखर राय संगठन नेताओं की समझाइश के बाद भी नहीं माने हैं और अपना बोरिया बिस्तर समेट कर रीवा से चले गए हैं।