ताजमहल मकबरा है या शिवालय: अब खुलेगा राज

नई दिल्ली। ताजमहल मुगल बादशाह शहंशाह का बनवाया गया मकबरा है या फिर तेजो महालय जो राजपूत राजा ने मुगल बादशाह का गिफ्ट किया था। इस सवाल का जवाब आज तक अनुत्तरित है। इस मामले में 2 पक्ष हैं जो वर्षों से अपने अपने तर्क प्रस्तुत कर रहे हैं परंतु अब ताज महल का राज खुलकर रहेगा क्योंकि सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमीशन (CIC) ने केंद्र सरकार से पूरी जानकारी मांगी है वो भी प्रमाण सहित। उम्मीद है इसके बाद ताजमहल को लेकर दशकों पुराना विवाद समाप्त हो जाएगा। 

ताज का इतिहास जानने के लिए एक आरटीआई याचिका कमीशन के पास पहुंची है। इस मुद्दे पर सीआईसी ने कल्चर मिनिस्ट्री की राय मांगी है और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) को जवाब दाखिल करने का ऑर्डर दिया। बता दें कि ताजमहल के इतिहास के विवाद पर सुप्रीम कोर्ट समेत देश की कई अदालतें केस खारिज कर चुकी हैं। कई अब भी पेंडिंग हैं। आगरा में सफेद संगमरमर से बना ये स्मारक दुनिया के 7 अजूबों में शामिल है। देश-विदेश से टूरिस्ट इसे देखने आते हैं। 

सीआईसी कमिश्नर श्रीधर आचार्यालु के ऑर्डर में कहा-'कल्चर मिनिस्ट्री ताजमहल के इतिहास के बारे में चले आ रहे विवादों पर लगाम लगाए। साफ करें कि क्या दुनिया के सात अजूबों में शामिल संगमरमर से बनी ये इमारत शाहजहां का बनवाया मकबरा है, या एक राजपूत राजा के द्वारा मुगल शासक को तोहफे में दिया शिवालय (शिव मंदिर)।'

आचार्यालु ने कहा है कि मिनिस्ट्री को इस मुद्दे पर अपनी राय देनी चाहिए। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) भी इस मामले में एक पार्टी है। उसे भी जवाब फाइल करना होगा। साथ ही एएसआई को 30 अगस्त से पहले दस्तावेजों की एक कॉपी एप्लीकेंट के साथ शेयर करनी होगी।

ताजमहल के बारे में ये सवाल पूछे
ताज के इतिहास के बारे में किए जा रहे दावों की सच्चाई जानने के लिए बीकेएसआर अय्यंगर ने ASI के पास आरटीआई फाइल की थी। इसमें उन्होंने पूछा- 'क्या आगरा में बना स्मारक ताजमहल है या तेजो महालय। कई लोग दावा करते हैं कि इसका असली नाम तेजो महालय है। इसे शाहजहां ने नहीं बनवाया बल्कि राजपूत राजा मानसिंह ने मुगल शासक को तोहफे में दिया।' आरटीआई में 17वीं सदी में इमारत को बनाने की डिटेल भी चाही गई। जैसे- इसमें कितने कमरे हैं, कितने सीक्रेट रखे गए हैं और कितने सिक्युरिटी के लिहाज से बंद किए हैं। अय्यंगर ने सबूतों के साथ ASI से जानकारी मांगी। उन्हें जवाब मिला कि ऐसा कोई सबूत और रिकॉर्ड मौजूद नहीं है।

बंद कमरे खुलने से नया इतिहास मिलेगा
आचार्यालु ने आगे कहा, 'इस आरटीआई के जवाब देने के लिए एएसआई को ताजमहल के इतिहास की रिसर्च और इन्वेस्टिगेशन करना होगा। इसके बंद कमरों को खोलने और खुदाई से कई छिपी हुई बातें सामने आएंगी और ताजमहल का नया इतिहास सामने आ सकता है। ताजमहल को एक संरक्षित स्मारक घोषित करने से पहले कई लोगों ने अपनी आपत्तियां दर्ज कराई थीं और इमारत का नाम तेजो महालय करने की मांग उठी थी। ASI एप्लीकेंट को बताए कि क्या यहां पहले कभी खुदाई हुई और इसमें क्या मिला? हालांकि, खुदाई का फैसला संबंधित अथॉरिटी के पास है। कमीशन बंद कमरों को खोलने और खुदाई के निर्देश नहीं दे सकता है।

इतिहासकार ने क्या दावा किया?
आचार्यालु के मुताबिक, इतिहासकार पीएन ओक ने किताब 'Taj Mahal: The True Story' में लिखा है कि ताजमहल वास्तव में एक शिव मंदिर है, जिसे राजपूत राजा ने बनवाया था। उन्होंने बाद में इसे शाहजहां को दे दिया। इतिहासकार के नाते ओक 17 साल पहले इसे शिव मंदिर घोषित करने की मांग लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। तब कोर्ट ने कहा था कि इस मामले पर फैसला आपको ही करना होगा। इसके बाद फरवरी, 2005 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक पिटीशन फाइल हुई। इसमें ताज को मुगलकालीन बताने वाले ASI के नोटिस को रद्द करने की मांग की गई। तब हाईकोर्ट की बेंच ने इसे तथ्यों के विवाद का मुद्दा बताकर खारिज कर दिया था।

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