
ताज का इतिहास जानने के लिए एक आरटीआई याचिका कमीशन के पास पहुंची है। इस मुद्दे पर सीआईसी ने कल्चर मिनिस्ट्री की राय मांगी है और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) को जवाब दाखिल करने का ऑर्डर दिया। बता दें कि ताजमहल के इतिहास के विवाद पर सुप्रीम कोर्ट समेत देश की कई अदालतें केस खारिज कर चुकी हैं। कई अब भी पेंडिंग हैं। आगरा में सफेद संगमरमर से बना ये स्मारक दुनिया के 7 अजूबों में शामिल है। देश-विदेश से टूरिस्ट इसे देखने आते हैं।
सीआईसी कमिश्नर श्रीधर आचार्यालु के ऑर्डर में कहा-'कल्चर मिनिस्ट्री ताजमहल के इतिहास के बारे में चले आ रहे विवादों पर लगाम लगाए। साफ करें कि क्या दुनिया के सात अजूबों में शामिल संगमरमर से बनी ये इमारत शाहजहां का बनवाया मकबरा है, या एक राजपूत राजा के द्वारा मुगल शासक को तोहफे में दिया शिवालय (शिव मंदिर)।'
आचार्यालु ने कहा है कि मिनिस्ट्री को इस मुद्दे पर अपनी राय देनी चाहिए। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) भी इस मामले में एक पार्टी है। उसे भी जवाब फाइल करना होगा। साथ ही एएसआई को 30 अगस्त से पहले दस्तावेजों की एक कॉपी एप्लीकेंट के साथ शेयर करनी होगी।
ताजमहल के बारे में ये सवाल पूछे
ताज के इतिहास के बारे में किए जा रहे दावों की सच्चाई जानने के लिए बीकेएसआर अय्यंगर ने ASI के पास आरटीआई फाइल की थी। इसमें उन्होंने पूछा- 'क्या आगरा में बना स्मारक ताजमहल है या तेजो महालय। कई लोग दावा करते हैं कि इसका असली नाम तेजो महालय है। इसे शाहजहां ने नहीं बनवाया बल्कि राजपूत राजा मानसिंह ने मुगल शासक को तोहफे में दिया।' आरटीआई में 17वीं सदी में इमारत को बनाने की डिटेल भी चाही गई। जैसे- इसमें कितने कमरे हैं, कितने सीक्रेट रखे गए हैं और कितने सिक्युरिटी के लिहाज से बंद किए हैं। अय्यंगर ने सबूतों के साथ ASI से जानकारी मांगी। उन्हें जवाब मिला कि ऐसा कोई सबूत और रिकॉर्ड मौजूद नहीं है।
बंद कमरे खुलने से नया इतिहास मिलेगा

इतिहासकार ने क्या दावा किया?
