
बताया जा रहा है कि आपत्ति शासकीय सेवक की मृत्यु के सात साल के भीतर आवेदन करने के बावजूद निरस्त किए गए मामलों को फिर खोलने को लेकर है। सूत्रों का कहना है कि यदि पुराने मामलों को खोलने की एक बार इजाजत मिल जाती है तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठ सकती है।
यही वजह है कि सामान्य प्रशासन विभाग के पूर्व अधिकारी इस प्रावधान के लिए तैयार नहीं थे। उधर, सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री लालसिंह आर्य का तर्क था कि नियम अनुसार आवेदन करने पर यदि नियुक्ति नहीं दी गई तो एक मौका दिया जाना चाहिए, क्योंकि आवेदक की कोई गलती नहीं है।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि पूरे मामले का परीक्षण करने के बाद एक बार फिर कैबिनेट निर्णय के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा। वहीं, सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री ने बताया कि हमने प्रस्ताव भेज दिया था, यदि उसे लौटाया गया है तो परीक्षण कराएंगे। 15 अगस्त के बाद भोपाल लौटूंगा और पूरा मामला देखने के बाद जो कदम उठाना होगा, वो उठाया जाएगा।
ये चार बदलाव हैं प्रस्तावित
पुराने मामलों में एक बार विचार करने की छूट।
महिलाओं के समान पुरुषों के लिए आवेदन की आयुसीमा 45 वर्ष से छूट।
पुलिस बल के मामले में किसी भी विभाग में रिक्त जगह नियुक्ति देना।
पद नहीं होने पर संविदा नियुक्ति देना।