कभी अल्प तो कभी भारी वर्षा – कैसे निबटें ?

Bhopal Samachar
राकेश दुबे@प्रतिदिन। मध्यप्रदेश के ग्वालियर और इंदौर में एक दिन में ही इतनी वर्षा हुई कि पिछले रिकार्ड टूट गये। देश के अन्य भागों की और नजर दौडाएं तो इस वर्ष, वर्षा का पेटर्न पिछले सालों से अलग दिखता है। इस वर्ष अगस्त के मध्य तक के आंकड़े बताते हैं कि देश में अत्यधिक भारी वर्षा की 16 घटनाएं घट चुकी हैं। इस श्रेणी में वे घटनाएं हैं जब एक दिन में 244 मिमी तक वर्षा हुई। इसके अलावा एक दिन में 124 से 244 मिमी के बीच वर्षा की 100 घटनाएं हुईं। परिणाम बाढ़ का आना तो तय है। इसके बावजूद मौसम विभाग के आंकड़ों में वर्षा को सामान्य दिखाया जाएगा। यह पता लगाना मुश्किल होगा कि जब सबसे अधिक जरूरत थी तब वर्षा हुई या नहीं और जब बुआई की आवश्यकता थी तो एकबार में हुई भारी वर्षा ने सब अस्तव्यस्त कर दिया। इससे कोई लाभ नहीं हुआ, केवल मुसीबत ही सामने आई। यह पेटर्न बताता है कि समय के साथ जलवायु परिवर्तन बढ़ता जाएगा और वर्षा में और अधिक विविधता आती जाएगी।

अब सरकारी प्रयास। जैसे सरकार असम में बाढ़ को नियंत्रित करने के लिए ब्रह्मपुत्र की गाद निकालने की योजना बना रही है। यह योजना अव्यावहारिक भी है और अनावश्यक भी। ऐसा करने से हमारा और अधिक समय जाया होगा। बिहार में सरकार नदियों के किनारे तटबंध बनाकर यही काम करना चाहती है। बिहार की कोसी नदी शायद देश की एकमात्र ऐसी नदी है जिसे लोग अभिशाप भी मानते हैं और वरदान भी। इस वर्ष की बाढ़ से बिहार में 300 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और एक करोड़ से अधिक लोग परेशान हैं। यह आंकड़ा मामूली नहीं है। यह भी याद रखिए कि हर बाढ़ और हर सूखे के साथ गरीब आदमी परेशान होता है।

बाढ़ प्रभावित इलाकों में बाढ़ से निपटने के उपाय दशकों से आजमाए जाते रहे हैं। इसके लिए जरूरत इस बात की है कि व्यवस्थित योजना बनाई जाए जो पानी को इस प्रकार राह दी जाए कि वह जमीन पर न फैले और लोगों की जान न ले। इसके लिए नदियों को तालाबों, झीलों आदि से जोडऩा आवश्यक है। इससे पानी पूरे इलाके में बंट जाएगा और दूसरी तरह के लाभ हमारे लिए लाएगा। इससे भूजल भी रीचार्ज होगा और कम वर्षा वाले दिनों में हमें पीने और सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिल सकेगा। बाढ़ एवं सूखे को नियंत्रित करने का एकमात्र हल है - लाखों की तादाद में ऐसी संरचना का निर्माण जो बारिश का पानी रोकें तथा बाढ़ की आशंकाओं को कम करें। इस पानी को सूखे के समय प्रयोग किया जा सकता है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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