मप्र में लड़की उठाओ, भगाकर ले जाओ, पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती

भोपाल। मध्यप्रदेश में 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का नारा तो बस दीवारों पर नजर आता है। असल में यहां लड़कियों को अपहरण का खेल चल रहा है। मानव तस्करी हो रही है। तस्करी के 1000 से ज्यादा आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं परंतु लड़कियों के गायब होने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रदेश में हर रोज 25 बच्चे गायब हो जाते हैं। इनमें से 22 बेसुराग रहते हैं। रिकॉर्ड में 5926 बच्चे गायब हैं, इसमें 3987 नाबालिग लड़कियां हैं। पुलिस केवल मामले दर्ज करती है। छानबीन नहीं करती। पुलिस का मानना है कि लड़कियां घर से भाग रहीं हैं, इसमें उनके पालकों का दोष है। 

मप्र पुलिस की लापरवाही इसी बात से साबित हो जाती है कि हमारी पुलिस 3987 में से महज 322 बच्चियों को ही खोज पाई है। बात भोपाल की करें तो यहां से 210 बच्चे अभी भी गायब हैं, इनमें 160 लड़कियां हैं। 120 बेटियां तो लंबे समय से लापता हैं, जिनके बिक जाने की प्रबल संभावनाएं हैं। इधर, पुलिस ने दो दिन पहले ही होशंगाबाद के जंगल से 7 बच्चों को बरामद किया है। जांच में सामने आया कि बच्चों को किसी ऊंट के कारोबार से जुड़े गिरोह ने खरीदा है। अभी 15 बच्चे और लापता बताए जा रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई बच्चा चार महीने से ज्यादा समय से लापता है तो उससे जुड़े मामलों में विशेष निगरानी करना होगी। इन्हें मानव तस्करी मानकर सरकार जांच कराएगी। इस गाइडलाइन के आधार पर मध्यप्रदेश में अलग से शाखा बनी हुई है। प्रदेश के सभी जिलों में एएसपी को गुमशुदा बच्चों की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

अब तक 1072 आरोपी आए गिरफ्त में
मप्र पुलिस मानव तस्करी से जुड़े मामलों में आरोपियों को पकड़ने में पीछे है। 2011 से जून 2017 तक बच्चों की बरामदगी के 243 ऑपरेशन चलाए गए थे। 451 बच्चे बरामद हुए, इनमें 322 लड़कियां थीं। इन बच्चों को तस्करी की तरफ धकेलने वाले 1072 आरोपी पकड़े जा चुके हैं।

हम नियमित मॉनिटरिंग करते हैं, बच्चों की बरामदगी की संख्या बढ़ी है
हमने सभी जिलों में एक एएसपी को मानव तस्करी से जुड़े मामलों की जांच के लिए अलग से तैनात किया हुआ है। ये नियमित मॉनिटरिंग करते हैं। पुलिस गायब होने वाले परिवारों से सतत संपर्क में रहती है। बच्चों की बरामदगी की संख्या भी बढ़ी है। 
अरुणा मोहन राव, 
एडीजी, राज्य महिला अपराध शाखा

मानव तस्करी के मामलों में गंभीर होने की जरूरत है
पुलिस बच्चों की गुमशुदगी दर्ज कर लेती है, लेकिन 4 महीने से ज्यादा समय तक लापता होने पर मानव तस्करी की जांच नहीं करती है। ऐसे तीन हजार से ज्यादा बच्चे लापता हैं, जिन्हे बेचा गया है। इनमें भी लड़कियां ज्यादा होती है।
प्रशांत दुबे, सामाजिक कार्यकर्ता

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