सभी तरह के शिक्षकों के चयन के लिए एक ही आयोग

धर्मेश अवस्थी/इलाहाबाद। प्रदेश सरकार शिक्षकों के चयन का एक आयोग बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है, जिसमें बेसिक, माध्यमिक व उच्चतर शिक्षा में पढ़ाने वाले शिक्षक एक ही नियमावली के तहत चयनित हों। इस कदम से राजकीय और अशासकीय विद्यालयों में शिक्षक चयन का बना भेद भी मिटेगा। साथ ही पारदर्शिता पर जोर देने से भ्रष्टाचार पर अंकुश रहेगा। सरकार की नई पहल से अतिरिक्त शिक्षक और कहीं शिक्षकों की कमी की भी नौबत नहीं आएगी। सूबे में अभी तक प्राथमिक विद्यालयों के लिए बेसिक शिक्षा परिषद, बेसिक शिक्षा अधिकारी के माध्यम से शिक्षकों का चयन होता आ रहा है। ऐसे ही माध्यमिक स्तर पर माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र और मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक व उच्च शिक्षा में उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग उप्र और लोकसेवा आयोग उप्र नियुक्तियां कर रहा है। 

अलग-अलग नियुक्तियां होने से एक स्तर पर चयनित शिक्षकों की अर्हता भी अलग-अलग हैं। मसलन, माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड परीक्षा व साक्षात्कार के जरिये अशासकीय कालेजों के शिक्षकों का चयन करता था। वहीं, मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक राजकीय इंटर कॉलेजों में मेरिट के आधार पर शिक्षक चयनित कर रहे थे। इस मैराथन प्रक्रिया रोककर प्रदेश सरकार सभी तरह के शिक्षक चयन का एक आयोग बनाना चाहती है। इसके लिए अभी तक शिक्षक चयन करने वाली संस्थाओं से राय मांगी गई है। यह भी तैयारी है कि पहले से बनी संस्थाओं को खत्म न करके उनका विलय कराया जाए, ताकि युवाओं में भर्तियों को लेकर कोई असमंजस न रहे और न ही पुरातन संस्थाओं में कार्यरत अधिकारी व कर्मचारी अपने को असुरक्षित महसूस करें।

उप्र बेसिक शिक्षा सेवा चयन से तौबा
सरकार ने पहले प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक चयन के लिए उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड बनाने की योजना बनाई थी लेकिन, बाद में इसी मंशा के तहत उससे किनारा कर लिया गया। सूबे के प्राथमिक स्कूलों में अतिरिक्त शिक्षकों की बड़ी संख्या सामने आई है उससे वहां चयन की अभी जरूरत ही नहीं है।

एलटी ग्रेड भर्तियां चयन बोर्ड के हवाले
सपा सरकार ने राजकीय इंटर कॉलेजों में एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती के लिए नियमावली में बदलाव करके माध्यमिक शिक्षा के अपर निदेशक की अगुआई में कमेटी गठित की थी। 9342 पदों पर मेरिट के आधार पर चयन के लिए आवेदन भी मांगे गए। नई सरकार ने यह भर्तियां लिखित परीक्षा से कराने का निर्णय लिया है और भर्तियां माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को सौंपने की योजना है।

सूबे के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की संख्या अधिक है, वहीं माध्यमिक स्कूलों में शहर व आसपास को छोड़कर ग्रामीण इलाकों में शिक्षकों की बहुत कमी है। इधर हुई तमाम भर्तियों में बेसिक स्कूलों में बड़ी संख्या में ऐसे शिक्षक चयनित हुए हैं, जो माध्यमिक में जाने की योग्यता रखते हैं। सरकार की मंशा है कि माध्यमिक की कमी बेसिक से ही पूरी कर दी जाए। इसके लिए नियम बनाने पर मंथन चल रहा है, ताकि शिक्षकों को आपत्ति न हों।

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