आम उपभोक्ता के दोनों गाल पर तमाचा, इधर ब्याज कम, उधर TAX ज्यादा

Bhopal Samachar
नई दिल्ली। मोदी सरकार ने भारत के आम उपभोक्ताओं के दोनों गालों पर एक साथ तमाचा मारा है। इधर बचत योजनाओं पर ब्याज घटा दिया गया और उधर जीएसटी में टैक्स बढ़ गया। नई दरों के अनुसार जिन चीजों या सेवाओं के मूल्य कम हुए हैं वो मिडिल क्लास के लिए खास फायदा नहीं दे पाएंगे लेकिन ऐसी सभी चीजों या सेवाओं पर टैक्स बढ़ गए हैं जो मिडिल क्लास ज्यादातर उपयोग में लाता है। जीएसटी परिषद ने 12011 वस्तुओं को इन चार वर्गों में रखा है। आम जनता के लिए उपयोगी करीब 80 वस्तुओं पर शून्य टैक्स (कर मुक्त) लगेगा। सिगरेट, शराब और पेट्रोलियम उत्पादों (पेट्रोल, डीजल इत्यादि) को अभी जीएसटी से बाहर रखा गया है लेकिन जीएसटी लागू करने के अलावा सरकार के एक कदम ने आम जनता को दोहरा तमाचा मारा है। 

दरअसल जीएसटी के बाद बैंकिंग सर्विसेज महंगी हो गई हैं, क्योंकि अभी इन पर 15 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता था, जबकि जीएसटी में 18 प्रतिशत टैक्स तय किया गया है। यानी, 1 जुलाई से डिमांड ड्राफ्ट, फंड ट्रांसफर जैसी सेवाएं महंगी हो गई हैं। इसी तरह, टर्म पॉलिसीज, एंडोमेंट पॉलिसीज और यूलिप्स आदि के इंश्योरेंस प्रीमियम भी महंगे हो गए हैं। इसके अलावा टेलिफोन बिल पर मौजूदा 15 प्रतिशत की बजाय 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा। इसलिए फोन का बिल भी ज्यादा आएगा।

वहीं दूसरी ओर सरकार ने छोटे निवेशकों को झटका दिया देते हुए स्मॉल सेविंग स्कीम के तहत आने वाले पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ) अकाउंट, किसान विकास पत्र (केवीपी) और राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) पर मिलने वाले ब्याज में कटौती की है। 30 जून को सरकार ने इन छोटे निवेशों पर 10 बेसिस प्वाइंट ब्याज दर में कटौती की है। अब पीपीएफ और एनएससी पर 7.8 फीसदी ब्याज मिलेगा, जबकि केवीपी पर 7.5 फीसदी ब्याज मिलेंगे। इनके अलावा वरिष्ठ नागरिकों की बचत योजनाओं और सुकन्या समृद्धि योजना की ब्याज दरें भी फिर से निर्धारित की गई हैं। ये व्यवस्था भी एक जुलाई से ही लागू हो गई है। इसका सीधा-सीधा मतलब यह हुआ कि आपको सर्विसेज के लिए ज्यादा पैसा देना होगा और जो पैसा आप बचत के लिए निवेश कर रहे हैं, उस पर आपको कम ब्याज दर से पैसा मिलेगा।

क्या है जीएसटी? 
भारत में आम नागरिकों पर दो तरह के टैक्स लगते हैं- प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर। आयकर और कॉर्पोरेट टैक्स इत्यादि प्रत्यक्ष कर हैं। बिक्री कर और सेवा कर इत्यादि अप्रत्यक्ष कर हैं। संविधान में 122वें संशोधन विधेयक के जरिए देश में लगने वाले सभी अप्रत्यक्ष करों की जगह एक जुलाई 2017 से केवल एक टैक्स “वस्तु एवं सेवा कर” लगाया गया है। दुनिया के 150 से अधिक देशों में ऐसी ही कर व्यवस्था लागू है।
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