मोदी के CDTP कर्मचारियों को 27 महीने से वेतन ही नहीं मिला

भोपाल। केन्द्र सरकार और देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी की अतिमहत्पूर्ण योजना स्कीलडेव्लपमेंट के सैकड़ों कर्मचारी के आगे भूखे मरने की नौबत आ गई है। सरकार लगातार इन कर्मचारियों से कोल्हू के बैल की तरह काम तो ले रही है लेकिन एक वर्ष से फंड जारी नहीं की है। बिना सैलरी के यह कर्मचारी काम कर रहे हैं। पैसे के आभाव में परिवार की जिम्मेदारी और कार्य दोनों तरह के मानसिक तनाव छेल रहे है। अमूमन हर जिले के कर्मचारियों ने दर्जनों बार पत्र व्यवहार कर लिया लेकिन केन्द्र और प्रदेश शासन दोनों की बेरूखी ने मुश्किल और अधिक बढ़ा दी है। अब यह समझ नहीं आ रहा है कि आखिर जाए तो जाए कहा।

जानते है योजना
हम बात कर रहे है केन्द्र सरकार के शिक्षा के सबसे बड़े विभाग मानव संसाधन विकास मंत्रालय नई दिल्ली से बीते कई वर्षो प्रदेश के साथ ही देश के अन्य दो दर्जन राज्यों के पॉलीटेक्निक कॉलेजों से संचालित कम्युनिटी डेव्लपमेंट थ्रू पॉलीटेक्निक योजना की। योजना के माध्यम से बरोजगारों को अल्प अवधी के रोजगामुखी प्रशिक्षण दिए जाते है। प्रतिवर्ष सैकड़ों पुरूष और महिलाओं को इस लाभ मिलता है। स्वयं के पैरों पर खड़े होकर परिवार का पालन-पोषण करते है। योजना के लिए प्रशिक्षर्णियों का चयन करना गांव-गांव तक पहुंचकर पहले सर्वे और फिर उनको प्रशिक्षण देकर दक्ष करने में पॉलीटेक्निक कालेज के प्राचार्य, अन्य स्टाप और कम्युनिटी डेव्लपमेंट थ्रू पॉलीटेक्निक कर्मचारी की बड़ी अहम भूमिका होती है। आज वें ही कर्मचारी पैसे-पैसे को मोहताज हो रहे है।

यह है परेशानी
मोदी जी की सरकार में स्किल डेव्लपमेंट पर जितना ध्यान दे रही है उतना ही कर्मचारियों के आगे परेशानी खड़ी हो रही है। बेरोजगारों को दक्ष करने पर अकेले ध्यान दिया जा रहा है। उसके अलावा कर्मचारियों पर कोई ध्यान नहीं। वर्ष 2010 के निधारित मानदेय पर कर्मचारी काम कर रहे है लेकिन आज तक कोई शिकायत नहीं की। उनकी तो एक ही विनती है बस समय पर मानदेय मिल जाए।

तकनीकी शिक्षा के सहयोग नहीं
भोपाल स्थित तकनीकी शिक्षा विभाग (डीटीई) को केन्द्र शासन पैसा अंवटित करती है। डीटीई की जिम्मेदारी होती है कि यह पैसा समय पर पॉलीटेक्निक कालेजों में संचालित कम्यूनिटी को पहुंचाए, लेकिन प्रदेश में अफसरशाही और बाबू राज की गंदी कार्य प्रणाली इस काम को करना ही नहीं जाती है। नतीजा महीनों से पत्र एक टेबिल से दूसरे टेबिल पर नहीं जाता, तो दिल्ली तक जाने में साल लग जाता है। आज बिना पैसे योजना की स्थिति होने का कारण बिना काम के वेतन लेने वाले यहीं साहाब और बाबू है।

27 महीना नहीं मिली वेतन
मोदी जी की सरकार में उससे पहले प्रदेश के एक पॉलीटेक्निक की कम्युनिटी को 27 महीना तक पैसा जारी नहीं किया गया था कर्मचारी बिना पैसे के काम करते रहे। इस बार तो पूरे प्रदेश में एक जैसी स्थित हो गई है।

प्राचार्य क्या करें
योजनानुसार केन्द्र शासन प्रदेश शासन को पैसा भेजती है। इस पैसे को समय-समय पर भेजना डीटीई का काम है लेकिन ऐसा नहीं होता, जिस कारण आज यह स्थिति बनी है। कम्युनिटी के कर्मचारी, प्रदेश और केन्द्र दोनों स्तर पर पत्र व्यवहार करते है, यह पत्र उल्टा दोनों स्थान से पॉलीटेक्निक प्राचार्य को भेज दिया जाता है। प्राचार्य अपने स्तर पर पुनरू इस पत्र को प्रदेश और केन्द्र सरकार को भेजते है यह क्रम ना जाने कितनी बार होता है, बस होता नहीं तो यहीं की पैसा नहीं आता।

कहां करे गुहार
प्राचार्य अपने कम्युनिटी के कर्मचारियों को बिना वेतन के काम करते देख परेशान होते रहते है, लेकिन क्या करे उनके हाथ में भी कुछ नहीं है। कर्मचारियों की मजबूरी है कि इस वेतन का इंतजार करे और काम करते रहे। प्रदेश स्तर पर सुनवाहीं नहीं है, प्रदेश से देश की राजधानी बहुत दूर है, अब करे तो क्या करे यहीं परेशानी है।

यूपीए सरकार में व्यवस्था
कम्युनिटी प्रदेश और देश के विभिन्न राज्यों में वर्षो से संचालित हो रही है। केन्द्र शासन की योजना है, बजट केन्द्र निधार्रित करती है सारी रिपोर्टिग भी केन्द्र को करना होता है। पूर्व की यूपीए सरकार में केन्द्र शासन सीधे प्राचार्य पॉलीटेक्निक कालेज के खाते में पैसा भेजती थी। इतनी अच्छी व्यवस्था की कभी पैसों के लिए किसी कर्मचारी को परेशान नहीं होना पड़ा। मोदी जी की सरकार ने व्यवस्था बदली केन्द्र सरकार प्रदेश को पैसे भेजती है प्रदेश पालीटेक्निक कालेज को। प्रदेश की बेरूखी का नतीजा आ सबके सामने है। बदनाम मोदी जी योजना हो रही है।

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