
निर्देश के अनुसार ऐसे भवनों की जांच की जाएगी। इस जांच के बाद नगर निगम के अधिकारियों की भी पोल खुलेगी कि उन्होंने कितने माले की परमीशन दी थी और कितनी बनी है। एप्रूव नक्शे के अनुसार निर्माण हुआ भी है या नहीं? आवासीय भवनों के कमर्शियल उपयोग के मामले में अब तक जिले में कुल 45 प्रकरण ही बने हैं।
इनमें से 15 प्रकरणों में ही कार्रवाई हो सकी है, जबकि 30 प्रकरणों का निराकरण होना अभी बाकी है। इन प्रकरणों में रेसीडेंशियल भवन के लैण्डयूज चैंज कर कमर्शियल किया जाएगा तथा प्रीमियम और भू-भाटक की राशि वसूली जाएगी।