
न्यायमूर्ति एके जोशी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान अवमानना याचिकाकर्ता श्रीमती सरला चौरसिया व मुरलीधर सेन की ओर से अधिवक्ता अनिरुद्ध पाण्डेय ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता लेखापाल और सहायक ग्रेड-एक के पद पर कार्यरत थे, दोनों इसी पद से सेवानिवृत्त हुए। सेवा के 20 वर्ष पूर्ण होने पर उन्हें द्वितीय समयमान वेतनमान दिया गया, जिसका अनुमोदन भी संयुक्त संचालक कोष एवं लेखा द्वारा किया गया।
इसके बावजूद सेवानिवृत्ति के समय अचानक यह लाभ रोक दिया गया। लिहाजा, हाईकोर्ट की शरण ली गई। हाईकोर्ट ने याचिका का इस निर्देश के साथ पटाक्षेप किया कि 8 माह के भीतर दोनों को द्वितीय समयमान वेतनमान का लाभ दिया जाए लेकिन समयावधि निकलने के बावजूद लाभ नहीं दिया गया। इसीलिए अवमानना याचिका के जरिए दोबारा हाईकोर्ट की शरण ली गई।