MP में बाहरियों को सरकारी नौकरी देने फिर नियम बदल दिए

भोपाल। मप्र की शिवराज सिंह सरकार का बाहरी प्रेम बार बार सामने आ जाता है। इंजीनियरिंग से लेकर मेडिकल कॉलेजों तक, व्यापमं घोटाले से लेकर तमाम सरकारी नौकरियों की भर्ती तक हर कदम पर व्यवस्थाएं कुछ ऐसी बनाई जा रहीं हैं ताकि दूसरे प्रदेश से आने वालों को कोई तकलीफ ना हो, भले ही मप्र के युवक अनपढ़ और बेरोजगार रह जाएं। सबको ज्ञात है कि व्यापमं घोटाले के आरोपियों की लिस्ट में ऐसे नामों की संख्या बहुत ज्यादा है जो मप्र से नहीं हैं। अनुमान लगाया जा सकता है कि व्यापमं में बाहरी कितने अंदर तक घुसे हुए थे। एक बार फिर ऐसा ही कुछ प्रमाणित हो रहा है। 

मप्र में सरकारी नौकरियों के लिए दूसरे राज्यों की एंट्री बंद करने की लंबे समय से मांग उठ रही है। जिसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने असम, मेघायल, गोवा, राजस्थान, बिहार समेत अन्य राज्यों के भर्ती नियमों का अध्ययन किया। इसके बाद पिछले महीने मप्र सरकार ने मप्र लोक सेवा आयोग के साथ तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग की नौकरियों के लिए आयु सीमा कम कर दी थी। जिसके लिए पीएससी के लिए 21 से 28 साल एवं तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के लिए 18 से 25 साल निर्धारित कर दी थी। साथ ही शर्त जोड़ी गई कि तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों के लिए मप्र के रोजगार कार्यालय में पंजीयन होना अनिवार्य है। 

इस नियम के बाद उम्मीद थी कि अब सरकारी नौकरियों में मप्र के बेरोजगारों को अवसर मिलेगा परंतु जैसे ही भर्तियां शुरू हुईं, सरकारी चाल बाजियां शुरू हो गईं। रोजगार कार्यालयों के सर्वर ठप कर दिए गए। बजाए सर्वर ठीक कराने के सरकार ने इस समस्या का अजीब हल निकाला। मप्र शासन ने सरकारी नौकरियों में रोजगार पंजी​यन की अनिवार्यता ही समाप्त कर दी। एक बार फिर बाहरी अभ्यर्थियों के लिए सारे दरवाजे खोल दिए गए। 

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