
इंदौर के पत्रकार श्री लोकेश सोलंकी की रिपोर्ट के अनुसार रतलाम के शासकीय पीजी कॉलेज में हिंदी के प्रोफेसर डॉ. राजेश लाल मेहरा को पीएससी का सदस्य नियुक्त किया गया है। शासन ने 2009 में प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में प्रोफेसरों के 385 पदों पद सीधी नियुक्ति के लिए प्रक्रिया शुरू की थी। पीएससी के जरिए हुई इस भर्ती प्रक्रिया में 2011 में कुल 242 लोगों को प्रोफेसर पद पर नियुक्ति दी गई थी। इस प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोप लगे थे। शिकायत की गई थी कि मूल और अनिवार्य योग्यता के नियमों को ताक पर रखकर 100 से ज्यादा लोगों को प्रोफेसर बना दिया गया।
103 की नामजद शिकायत

प्रोबेशन कन्फर्म नहीं
शिकायत के बाद प्रोफेसरों की नियुक्ति पर जांच के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने एक कमेटी बनाई थी। सूत्रों के मुताबिक कमेटी ने जांच में नियुक्ति नियम तोड़ने के आरोपों को सही माना है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। रिपोर्ट में प्रोफेसर बने कुछ उम्मीदवारों को झूठे दस्तावेज पेश करने का दोषी मानते हुए प्रकरण दर्ज करने की सिफारिश भी की गई है। रिपोर्ट पर कार्रवाई अभी लंबित है लिहाजा छह साल बाद भी नियुक्ति पाने वाले इन प्रोफेसरों की परीवीक्षा (प्रोबेशन) अवधि खत्म कर उन्हें नियमित नहीं किया गया है।
मैने आवेदन नहीं किया
मैंने आवेदन नहीं किया था। शासन ने अपने स्तर पर नियुक्ति दी है। सही है कि प्रोबेशन पूरा होने का पत्र नहीं मिला है, लेकिन मेरे पास नियुक्ति के पहले 10 साल पढ़ाने का अनुभव था। इसमें पीएचडी का पहले होना जरूरी नहीं है।
डॉ. राजेश लाल मेहरा, नवनियुक्त सदस्य