BHOPAL: 3 बार बम की सूचनाएं फिर दंगा भड़काने की कोशिश, कहीं स्लीपर सेल तो एक्टिव नहीं

उपदेश अवस्थी/भोपाल। सबकुछ सामान्य नहीं है। इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। एक के बार एक लगातार 3 बार बम की फर्जी सूचनाएं दी गईं, फिर दंगा भड़काने की कोशिश की गई। यदि भोपाल की अवाम बेहतर ना होती तो यह शहर दंगों की आग में सुलग रहा होता। सवाल यह है कि क्या ये सबकुछ इत्तेफाक था या फिर कोई गहरी साजिश। इन सभी घटनाओं के बीच क्या कोई कनेक्शन है। क्या आतंकवादी संगठनों के स्लीपर सेल भोपाल में एक्टिव हो गए हैं। क्या कोई मास्टरमाइंड सबकुछ आॅपरेट कर रहा है। 

पिछले कुछ दिनों में जो कुछ हुआ वो चौंकाने से ज्यादा चिंता करने वाला है। पहले रेलवे स्टेशन, फिर कोर्ट और फिर एक होटल को बम से उड़ाने की सूचनाएं मिलीं। छानबीन की तो पता चला कि सबकुछ फर्जी था लेकिन मामला यहां खत्म नहीं होता यहां से शुरू होता है। वो कौन है जो इस तरह की सूचनाएं प्लांट कर रहा था। इससे फर्क नहीं पड़ता कि पुलिस को सूचना किसने दी। इससे फर्क पड़ता है कि सूचनाएं कहां से जारी हुईं। क्या कोई मास्टर माइंड भोपाल पुलिस का टेस्ट ले रहा था ताकि वो अपनी अगली प्लानिंग बना सके। क्या वो यह जानना चाहता था कि किसी गंभीर सूचना पर पुलिस का रिएक्शन कैसा होता है या फिर वो होमवर्क कर रहा था कि यदि भोपाल पुलिस किस तरह की कार्रवाईयां करती है। संभव है वो भोपाल पुलिस को मिसगाइड करने की कोशिश कर रहा हो। 3 फर्जी सूचनाएं देकर भोपाल पुलिस को ऐसी सूचनाओं के प्रति लापरवाह बनाने की कोशिश हो ताकि जब कोई सही सूचना आए तब भी पुलिस उसे पहले की तरह फर्जी मान ले। 

बीते रोज भोपाल में परसा तनाव भी किसी गहरी साजिश का हिस्सा ही लगता है। किसी ने षडयंत्रपूर्वक भोपाल के मुसलमानों को भड़काने की कोशिश की। जिस शिलालेख से हमीदिया अस्पताल में मस्जिद होने का दावा किया गया वो तो युद्ध में मारे गए सैनिकों की याद में बनाया गया शिलालेख था। फिर किसने और क्यों इस तरह की अफवाह उड़ाई कि वहां पुरानी मस्जिद के अवशेष मिले हैं। यह जानना जरूरी है कि वो मास्टरमाइंड कौन था जो दंगा प्लान कर रहा था। यदि भोपाल के कुछ मुसलमान समझदार ना होते तो जो चिंगारी पीरगेट पर दहकती दिखाई दी वो पूरे शहर में आग की तरह फैल सकती थी। निश्चित रूप से पुलिस ने सराहनीय कदम उठाए और हालात को समय रहते काबू किया लेकिन शुरूआती 1 घंटे तक तो सबकुछ बेकाबू था। इस दौरान कुछ भी हो सकता था। 

भोपाल के आतंकी कनेक्शन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यहां कई बड़े अपराधी आसरा लिया करते हैं परंतु क्या अब कोई आतंकी संगठन यहां किसी बड़े धमाके की प्लानिंग कर रहा है। बड़ा सवाल यह है कि क्या तमाम सूचनाओं और दंगा भड़काने के लिए आतंकी संगठन ने स्लीपर सेल का उपयोग किया है। बता दें कि आतंकवाद की दुनिया में स्लीपर सेल उन लोगों को कहा जाता है जिन्हे अपने गिरोह के बारे में कोई जानकारी नहीं होती। उन्हे बस एक छोटा का काम करने का आदेश मिलता है और काम पूरा होने पर मोटी रकम मिल जाती है। उन्हे खुद नहीं मालूम होता कि कौन है वो मास्टरमाइंड जो उन्हे आॅपरेट कर रहा है। वो मोटी रकम के लालच में आदेश का पालन करते जाते हैं। 

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !