विश्वप्रसिद्ध महाकाल मंदिर में रिश्वतखोर पुजारी जुर्माना लगाकर बहाल किया गया

उज्जैन। विश्वप्रसिद्ध ज्योर्तिलिंग महाकाल मंदिर में श्रृद्धालुओं से रिश्वत लेकर उन्हे विशेष सुविधाएं देने के आरोपी पुजारी को महाकाल मंदिर प्रबंध समिति मात्र 16 हजार रुपए का जुर्माना लगाकर उसकी सेवाएं बहाल कर दीं जबकि वो लगातार दूसरी बार रिश्वत के मामले में पकड़ा गया था। महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के इस फैसले का विरोध शुरू हो गया है। मंदिर के लिए काम करने वाले लोगों का कहना है कि इस तरह से मंदिर में रिश्वतखोरी की आदत बढ़ेगी और आरोपियों को जुर्माना लगाकार बहाल किया जाता रहेगा। यह परंपरा ही गलत है। 

क्या है मामला 
प्रशासक सुजानसिंह रावत ने बताया 24 मई को मंदिर के कंट्रोल रूम में कार्यरत कर्मचारी शिव सक्सेना को एक गुजराती महिला ने आकर पैकेट दिया। पैकेट में राशि दिखाई देने पर श्री सक्सेना ने प्रशासक को अवगत कराया। इसी दौरान नयन शर्मा जो कि दिनेश शर्मा पुजारी का अनाधिकृत प्रतिनिधि है, उसने नंदीहॉल से अपना थैला गुमने संबंधी जानकारी देकर सीसीटीवी फुटेज देखने का आग्रह किया। फुटेज देखने पर ज्ञात हुआ कि, श्रद्धालुओं द्वारा डलिया में रखे जाने वाली दान राशि को नयन शर्मा ने दिनेश पुजारी के सामने अपनी प्रसाद की थैली में रखा था। दिनेश पुजारी ने डलिया में से कुछ राशि निकालकर गर्भगृह में लाइन चलाने वाली मंदिर कर्मचारी सुमन ठाकुर को दी। थोड़ी देर बाद सुमन ठाकुर ने गुजरात की महिला श्रद्घालु को नयन शर्मा की थैली में से प्रसाद का पैकेट दिया, जिसमें हेरफेर की दान राशि रखी हुई थी। 

नयम शर्मा को इसकी जानकारी लगी तो महिला की पहचान करने के लिए वह कंट्रोल रूप में कर्मचारी के पास फुटेज देखने गया इससे मामले का खुलासा हुआ। मंदिर प्रशासक ने इसकी जांच का जिम्मा सहायक प्रशासक सतीश व्यास को सौंपा था। उन्होंने रिपोर्ट प्रस्तुत की, इसके बाद अर्थ दंड लगाने का निर्णय लिया गया।

मंदिर समिति के निर्णय पर उठ रहे सवाल
क्या सिर्फ 320 रुपए की दान राशि के लिए अनाधिकृत प्रतिनिधि नयन शर्मा कंट्रोल रूम में फुटेज देखने गया था। सूत्र बताते हैं कि उस पैकेट में 10 हजार रुपए से अधिक रकम थी।
जितनी दान राशि का मंदिर समिति उल्लेख कर रही है, इससे ज्यादा राशि तो दिनेश पुजारी महिला कर्मचारी को दे रहा था। महिला को कितनी राशि दी इसकी पड़ताल समिति ने की है?
मंदिर समिति विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग की प्रतिष्ठा को रुपए में तौल रही है। पुजारी पर सिर्फ अर्थ दंड लगाने से पहले महिला कर्मचारी का भी केवल 15 दिन का वेतन काटा गया। यह राशि 5 हजार रुपए से अधिक नहीं है।
क्या मंदिर समिति के इस लचीले निर्णय से इस प्रकार की घटनाओं को बढ़ाव नहीं मिलेगा। इससे पहले दिनेश पुजारी के प्रतिनिधि रमण त्रिवेदी ने भस्मारती अनुमति के एवज में दिल्ली के एक श्रद्धालु से रुपए लिए थे। बाद में शिकायत मिलने पर मंदिर समिति ने उन्हें निलंबित कर दिया था। तत्कालीन संभागायुक्त ने रमण त्रिवेदी को बहाल करते समय कथा था कि भविष्य में ऐसी गलती करते पाए जाने पर उन्हें कड़ी सजा मिलेगी। हालांकि इस बार भी गंभीर गलती करने पर कड़ी कार्रवाई नहीं की गई।

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