
याचिका में हार्ट के मरीजों के इलाज के रिकार्ड के आधार पर आरोप लगाया गया है कि हार्ट के तीन मरीजों में एक मरीज को डॉक्टर बगैर जरुरत के इंस्टंट डाल देते हैं. जिसका जहां मरीज के शरीर पर गलत प्रभाव पड़ता है. वहीं हार्ट अटैक की भी संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है.
याचिका में कहा गया है कि डॉक्टर ऐसा अपनी इनकम बढ़ाने और इंस्टंट बनाने वाली कम्पनियों से मिलने वाले इंसेन्टिव के लालच में करते हैं. हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए पहले ही कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इण्डिया, इण्डियन मेडिकल एशोसिएसन और एशोसिएसन ऑफ हेल्थ केयर प्रोवाइडर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. याचिकाकर्ता अधिवक्ता अजय मिश्रा और अधिवक्ता अभिनव गौड़ की जनहित याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस डी बी भोसले और जस्टिस यशवन्त वर्मा की डिवीजन बेंच कर रही है.