
उन्होंने कहा, ‘पिछले दो सालों में हमने नेटवर्क विस्तार और नयी तकनीक अपनाने के क्षेत्रों में बीएसएनएल का निवेश काफी बढ़ाया है और अब कम्पनी परिचालन लाभ कमा रही है. आने वाले समय में हम इन क्षेत्रों में और निवेश करेंगे.’ सिन्हा ने पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर इशारों में निशाना साधते हुए कहा कि बीएसएनएल किन्हीं कारणों से वित्तीय वर्ष 2006.07 से 2012.13 तक विस्तार परियोजनाओं में निवेश नहीं कर पाने से घाटे में आ गयी. लेकिन वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद कम्पनी की गाड़ी पटरी पर आ गयी है.
उन्होंने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र में जारी गलाकाट प्रतिस्पर्धा के बावजूद बीएसएनएल अपने राष्ट्रीय और सामाजिक दायित्वों के तहत दूरस्थ क्षेत्रों में भी सेवाएं दे रही है, जबकि बाकी दूरसंचार सेवा प्रदाता खासकर उन स्थानों पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं जहां से पैसा कमाया जा सकता हो.
रेल राज्यमंत्री ने इंदौर जिले में 189 बेस ट्रांसीवर स्टेशनों (बीटीएस), उन्नत तकनीक के 43 दूरभाष केंद्रों, तेज गति के इंटरनेट नेटवर्क और भारत नेट परियोजना का लोकार्पण किया. इसके साथ ही, बीएसएनएल के भवनों की छतों और टॉवरों पर कुल 220 किलोवॉट के सौर ऊर्जा संयंत्रों का शिलान्यास किया. मध्यप्रदेश में दूरसंचार सुविधाओं में इजाफे के लिये अलग-अलग घोषणाएं करते हुए सिन्हा ने कहा कि सूबे में 4जी सेवा के 500 नये टॉवरों के साथ 3जी और 2जी सेवाओं के कुल 1,500 नये टॉवर लगाये जायेंगे. इसके साथ ही, राज्य में रेल यात्रा के दौरान निर्बाध नेटवर्क सुनिश्चित करने के लिये 2जी सेवा के 81 और 3जी सेवा के 59 नये नोड (दूरसंचार यंत्र) लगाये जायेंगे.
उन्होंने यह भी बताया कि सूबे से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गो पर 2जी सेवा के 110 नये बीटीएस और 3जी सेवा के 73 बीटीएस लगाये जायेंगे. कार्यक्रम में मौजूद लोकसभा अध्यक्ष और स्थानीय सांसद सुमित्रा महाजन ने कहा कि एक जमाने में बीएसएनएल की खराब सेवाओं के कारण इसका फुल फॉर्म ‘बाहर से नहीं लगता’ और ‘भीतर से नहीं लगता’ भी बताया जाता था. लेकिन अब हालात बदल गये हैं और कम्पनी की सेवाओं में काफी सुधार हुआ है.