श्रीनगर उपचुनाव में 7 मौतों के बदले मात्र 6.5% मतदान

श्रीनगर। श्रीनगर-बडगाम संसदीय सीट पर लोकतंत्र की स्थापना के लिए हुई फायरिंग में 7 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। बावजूद इसके पूरी सीट पर मात्र 6.5 प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ। यह मौतें तब हुईं जब चुनाव का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए पुलिस ने फायरिंग की। पुलिस ने कहा कि दो प्रदर्शनकारियों की मौत चरार-ए-शरीफ विधानसभा क्षेत्र के दलवान गांव में हुई, जबकि तीन अन्य की मौत बीरवाह में और एक की वाथुरा इलाके में हुई। सुरक्षा बलों ने कथित तौर पर हिंसक भीड़ द्वारा दलवान गांव में एक मतदान केंद्र पर हमला करने और ईवीएम मशीनों के साथ तोड़फोड़ करने तथा मतदान में व्यवधान उत्पन्न करने के कारण गोलीबारी की।

सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी
बडगाम में कुछ जगहों पर सुरक्षाबलों पर लोगों ने पत्थरबाजी की। इसके बाद फायरिंग में तीन लोगों की मौत हो गई है और कई घायल हो गए।  इसके अलावा गांदरबल में भी पथराव हुआ है। पुलिस के एक अधिकारी के मुताबिक मध्य कश्मीर के बडगाम और गांदरबल जिलों से पथराव की खबरें आई हैं।

पुलिस ने कहा, "सुरक्षा बलों ने मतदान स्थल पर तैनात कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए गोलीबारी की।" पुलिस अधिकारी ने कहा कि हिंसक भीड़ ने एक बस में आग लगा दी और बडगाम में कुछ अन्य मतदान केंद्रों पर ईवीएम तोड़ दिए। बडगाम, श्रीनगर और गांदरबल जिलों में सुबह सात बजे मतदान शुरू हुआ और दोपहर तक केवल पांच प्रतिशत मतदान ही हुआ।

ऐसे हालात कभी नहीं देखे : उमर
श्रीनगर में फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला ने वोट डाला। वोट डालने के बाद हिंसक झड़प पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि, 'ऐसे हालात कभी नहीं देखे।'

हिंसा राज्य सरकार की विफलता : फारूक
वहीं फारूक अब्दुल्ला ने मतदान में हिंसा को राज्य सरकार की विफलता बताया। श्रीनगर लोकसभा सीट पीडीपी के नेता तारिक हमीद कारा के इस्तीफे के कारण रिक्त हुई थी। कारा ने पिछले साल आठ जुलाई को सुरक्षा बलों के हाथों हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद उत्पन्न अशांति के दौरान लोगों पर ‘‘ज्यादतियों’’ के विरोध में अपनी पार्टी और लोकसभा से इस्तीफा दे दिया था।

फारूक अब्दुल्ला अपनी पार्टी नेश्नल कॉन्फ्रेन्स और कांग्रेस दोनों के संयुक्त उम्मीदवार हैं। उनका मुकाबला सत्ताधारी पीडीपी के प्रत्याशी नजीर अहमद खान से है। एक तरह से कहा जा सकता है कि श्रीनगर लोकसभा सीट पर अब्दुल्ला और खान के बीच सीधी टक्कर है।

अपने 35 साल से अधिक समय के राजनीतिक करियर में अब्दुल्ला को पहली बार साल 2014 में शिकस्त का सामना करना पड़ा था। उन्हें साल 2014 के आम चुनाव में कारा ने हराया था। उसके बाद कारा कांग्रेस में शामिल हो गए थे। बाद में कारा कांग्रेस छोड़ कर पीडीपी में आ गए। लेकिन फिर उन्होंने पीडीपी से भी इस्तीफा दे दिया। फिलहाल वह उपचुनाव में अब्दुल्ला का समर्थन कर रहे हैं। वर्ष 2014 के चुनाव में श्रीनगर लोकसभा सीट पर 26 फीसदी मतदान हुआ था जबकि वर्ष 2009 के चुनाव में यहां 25.55 फीसदी मतदान रिकॉर्ड किया गया था।

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