
इस तरह की योजनाएं लाकर बैंकों को नए ग्राहक बनाने पर लाभ होता है, लेकिन भविष्य में क्या ये टिकाऊ साबित होगा? इस बारे में उद्योग जगत का विशेषज्ञों का कहना है कि नए भुगतान बैंक (पीबी) और छोटे फाइनेंस बैंक (एसएफबी) अभी ग्राहकों की संख्या बढ़ाने के लिए बचत खातों पर ज्यादा ब्याज की योजना लेकर आए हैं। लेकिन आगे चलकर ये बैंक बचत खातों में दी जाने वाली ब्याज दरें को कम कर सकते हैं। इसपर उज्जीवन स्मॉल फाइनैंस बैंक के CEO समित घोस कहते हैं, ‘बचत खाते लेन-देन के लिए होते हैं। हमारा मानना है कि इन खातों के खाताधारक ब्याज दरों की बहुत अधिक चिंता नहीं करते। इन लुभावने ऑफर से बैंकों को कम समय में ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए मदद मिल सकती है लेकिन लंबी अवधि ये बैंकों के लिए फायदेमंद नहीं होगा।
ज्यादातर विशेषज्ञों का इस मामले में कहना है कि पेमेंट्स बैंकिंग बिजनेस का इस समय ज्यादा रुझान ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों बनाने पर है, मगर आगे चलकर ये ईकॉमर्स की तरह मंहगा हो सकता है। लेकिन इसमें सबसे बड़ा सवाल ये हैं कि ऑफरों के वापस लिए जाने के बाद भी क्या ग्राहक बैंकों के साथ बने रहेंगे। वहीं फिनो पेटेक के मैनेजिंग डायरेक्टर ऋषि गुप्ता कहते हैं कि फाइनेंशल इन्क्लूजन में हमारा अनुभन बताया है कि ऐसे ऑफर को वापस लेना काफी मुश्किल होता है। क्योंकि एक बार जब ग्राहकों बिजनेस मॉडल को लेकर बैंकों पर सवाल करना शुरू कर देते हैं तो बैंक से ग्राहकों का भरोसा कम होना शुरू हो जाता है।