शिवराज सरकार ने विधानसभा में भी नहीं बताई व्यापमं (MBBS) घोटाले की डीटेल्स

व्यापमं घोटालाभोपाल। व्यापमं घोटाले में शिवराज सिंह सरकार का रवैया अक्सर संदिग्ध दिखाई देता है। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान पूछा गया कि व्यापमं घोटाले के तहत एमबीबीएस के कितने छात्र फर्जी पाए गए, कितने जेल गए और कितने छात्रों के एडमिशन निरस्त किए गए परंतु सरकार ने कोई जवाब ही नहीं दिया। घोटाले से जुड़ा सवाल कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने पूछा था। उन्होंने जानना चाहा था कि पीईबी द्वारा चयनित परीक्षाओं में ओएमआर सीट मेनुपुलेकशन व नकल के माध्यम से चयनित कितने अभ्यार्थी की अभ्यर्थता निरस्त की गई। उन्होंने आज दिनांक तक वर्षवार व अलग-अलग परीक्षावार जानकारी भी चाही थी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी जानकारी चाही थी कि कितने एमबीबीएस छात्रों के प्रवेश निरस्त किए गए एवं कितने छात्रों पर एफआईआर दर्ज की गई। 

पटवारी ने अपने सवाल में यह भी पूछा था कि इसके अलावा जिन अन्य परीक्षाओं से सीधे रोजगार प्राप्त होते हैं, उनमें किन-किन अभ्यार्थियों की अभ्यर्थता निरस्त की गई। उनके नाम पते भी विभाग से चाहे गए थे। प्रश्न में मेनुपिलेशन व नकल के प्रकरणों को लेकर कोर्ट में चल रही कार्यवाही की भी जानकारी मांगी गई थी।

पटवारी ने प्रीपीजी 2012 में फर्जीवाड़े से चयनित छात्रों को कालेज से निकालने और इस मामले की हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की स्थिति भी चाही गई थी। सरकार ने इन सभी सवालों पर एक ही जबाव दिया है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है। 

वहीं दूसरी ओर परिवहन आरक्षण भर्ती में लोगों के पते गलत पाए जाने से जुड़े सवाल पर तकनीकी शिक्षा विभाग का कहना है कि बोर्ड का काम सिर्फ एक्जाम कराना और परिणाम घोषित करना है। पते की तस्दीक करने का काम उसका नहीं है। 

क्यों बदला व्यापमं का नाम?
कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने व्यवसायिक परीक्षा मंडल का नाम बदलने के औचित्य पर सवाल उठाते हुए पूछा था कि व्यवसायिक परीक्षा मंडल का नाम किस दिनांक से और किसके आदेश पर बदलकर प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड रखा गया है। नाम बदलने का प्रस्ताव विधानसभा में क्यों नहीं रखा गया। तकनीकी शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी का कहना है कि बोर्ड के अधिनियम 2007 के तहत पीईबी नाम का उपयोग किया जा रहा है। 

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !