नई दिल्ली। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि वीआईपी कल्चर और लालबत्तियां जनता को गुलामी की याद दिलातीं हैं। यह कल्चर आजादी के पहले का है प्रोग्रेसिव सोसायटी और लोकतंत्र में इसके लिए कोई जगह नहीं। उन्होंने सभी नेताओं से अपील की है कि वे सरकार के एंटी वीआइपी कल्चर के फैसले का समर्थन करें। एक प्रेस बयान में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रोग्रेसिव सोसायटी में वीआइपी कल्चर के कोई मायने नहीं हैं। उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे फैसले पंजाब को आगे बढ़ाने में मददगार साबित होंगे। कैप्टन ने कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह का नाम लिए बिना कहा है कि सरकार लाल बत्ती कल्चर को खत्म करने के लिए वचनबद्ध है। यह कांग्रेस का चुनावी वादा है।
वीआइपी कल्चर आजादी से पहले का है और लोकतंत्र में इसके लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। यह लोगों के सम्मान करने की बात है, जिन्होंने हमें चुना है। नेताओं को लोगों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह लाल बत्ती हटाने का मामला नहीं बल्कि लोगों की सेवा के लिए कठिन परिश्रम करके उन्हें अच्छी सरकार देने का मामला है। इसके लिए हमने चुनाव में लोगों से वादा किया उसे पूरा करेंगे। हम सब को मिलकर पंजाब को आगे ले जाना है।
हमारा सामने तमाम चुनौतियां हैं, उन्हें छोटे-छोटे फैसलों से हम हल कर सकते हैं। लाल बत्ती न हटाने संबंधी बयान को लेकर कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि कुछ अखबारों व मीडिया ने उनके बयान को पूरी तरह से प्रकाशित नहीं किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने लाल बत्ती न हटाने संबंधी बयान मंत्रिमंडल की बैठक से पहले दिया था। जब बैठक में मुख्यमंत्री ने इस संबंध में फैसला किया कि सभी मंत्री व संबंधित नेता लाल बत्ती का इस्तेमाल नहीं करेंगे, तो मैंने भी उस फैसले का समर्तन किया।
उन्होंने कहा कि मेरे पुराने बयान को नया बनाकर कुछ अखबारों व मीडिया ने प्रकाशित करके मेरी छवि खराब करने की कोशिश की है। मैं अपने मुख्यमंत्री के फैसले से अलग नहीं हो सकता। उन्होंने दोहराया कि अपनी गाड़ी से उन्होंने भी लाल बत्ती हटवा दी है।