प्रमोशन में आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट में केस हार गई राज्य सरकार

नई दिल्ली। पदोन्नति में आरक्षण मामले में कर्नाटक राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में केस हार गई। इस मामले का फैसला गुरुवार को हुआ है। कोर्ट ने राज्य में पदोन्नति में आरक्षण व्यवस्था खत्म करते हुए राज्य सरकार से कहा है कि वह तीन महीने में ऐसे कर्मचारियों को रिवर्ट करे, जो इस नियम के चलते पदोन्नत हुए हैं। मध्य प्रदेश के कर्मचारियों का ऐसा ही प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

मध्यप्रदेश में जश्न
इस फैसले से मध्य प्रदेश के सामान्य, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के कर्मचारियों में उत्साह का माहौल है। शुक्रवार को सामान्य, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के संगठन सपाक्स ने अपने वॉट्सअप ग्रुप पर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को वायरल किया। ग्रुप पर सक्रिय कर्मचारियों का कहना है कि इस निर्णय से मध्य प्रदेश सरकार की ओर से हाईकोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिका का हश्र नजर आ रहा है।

सुप्रीम कोर्ट में लगातार सुनवाई की याचिका 
उल्लेखनीय है कि जबलपुर हाईकोर्ट 30 अप्रैल-16 को 'मप्र लोक सेवा (पदोन्नति ) अधिनियम 2002" खारिज कर चुका है। इसके खिलाफ आरक्षित वर्ग के कर्मचारी और राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। अब सुनवाई 14 फरवरी को प्रस्तावित है। वैसे तो सरकार की ओर से 25 मार्च के बाद सुनवाई की अपील की गई थी, लेकिन मामला लंबित होने से कर्मचारियों को हो रहे पदोन्नति के नुकसान को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले को लगातार सुनने को कहा है।

सपाक्स हित में बात करने वाला राज करेगा
सामान्य, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के संगठन सपाक्स के गठन को एक साल पूरा हो गया है। इस मौके पर शुक्रवार को संस्था के राजधानी स्थित चूनाभट्टी स्थित कार्यालय में संस्था के पदाधिकारियों ने जनजागृति की शपथ ली। सपाक्स समाज संस्था के अध्यक्ष ललित शास्त्री ने कहा कि जो सपाक्स हित में बात करेगा, वही प्रदेश में राज करेगा।

यहां पदाधिकारियों ने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही न्याय की लड़ाई को निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए संघर्ष जारी रखेंगे। यह व्यवस्था कुछ परिवारों को पीढ़ी दर पीढ़ी लाभ देने का साधन बन चुकी है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक राज्य में ऐसा ही पदोन्नति नियम खारिज कर दिया है।

वहीं गलत तरीके से पदोन्नत कर्मचारियों की वरिष्ठता को रिव्यू करने की कार्रवाई करने को कहा है। तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार, राजस्थान में यह नियम खत्म किए जा चुके हैं।

संस्था के अध्यक्ष डॉ. आनंद सिंह कुशवाह, सचिव राजीव खरे, उपाध्यक्ष बीएल त्यागी, संस्थापक मंडल के सदस्य केएस तोमर, आलोक अग्रवाल, समाज संस्था के अध्यक्ष शास्त्री सहित अन्य ने कहा कि सरकार के पास न तथ्य हैं और न ही तर्क, फिर भी वोट बैंक की खातिर इस प्रकरण को लंबा खींचना चाहती है। शास्त्री ने कहा कि अब ये लड़ाई कर्मचारियों की नहीं रही। समाज हमारे साथ है। यदि राजनीति में वोट ही महत्वपूर्ण है तो 2018 तक सामान्य पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग का 'सपाक्स समाज" के केंद्र में ध्रुवीकरण किया जाएगा।

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