
देश में मॉडल संगठन के रुप में ख्याति प्राप्त पार्टी बीजेपी के मध्य प्रदेश इकाई की छवि धूमिल हुई है, तो पूरी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी सवालों के घेरे में आ गई है। 'ध्रुव सक्सेना कांड' से भाजपा खुद को बेदाग बताकर पल्ला झाड़ रही हो, लेकिन अंदरुनी तौर पर पार्टी को पाक साफ रखने की कवायद शुरू हो हो गई। जासूसी कांड से सबक लेते हुए मध्य प्रदेश बीजेपी, संगठन में पदों पर नियुक्तियों से पहले कार्यकर्ताओं का आपराधिक रिकॉर्ड भी खंगाल सकती है। इसके लिए सरकारी नौकरियों की तर्ज पर विभिन्न पदों पर नियुक्ति से पहले पुलिस वेरीफिकेशन करवा सकती है।
यूपी चुनाव में मुद्दा बना
भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ता ध्रुव सक्सेना की पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में हुई गिरफ्तारी के बाद से पार्टी की अन्दरखाने की सियासत गरमायी हुई है। ध्रुव जासूसी कांड पर यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, आप सहित अनेक अन्य दलों ने मुद्दा बनाकर बीजेपी को घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। पार्टी सूत्रों की माने तो केन्द्रीय नेतृत्व ने चुनावी दौर में मामले को बेहद गंभीरता से लिया और घटना पर प्रदेश इकाई से जवाब तलब भी किया था। इसके बाद से प्रदेश इकाई के नेताओं ने बंद कमरे में चली बैठक में भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नई तरकीब पर रायशुमारी की।
अब हर पदाधिकारी की छानबीन होगी
पार्टी सूत्रों की माने तो प्रदेश भाजपा संगठन ने बड़े नेताओं की पहचान और पैरवी पर पदों पर नियुक्ति पर अंकुश लगाने की सैद्दांतिक निर्णय लिया है। पदाधिकारी बनाने से पहले प्रदेश संगठन उस कार्यकर्ता के परिवार से लेकर उसके बारे में पूरी जानकारी जुटाएगी। इसमें खासतौर से कार्यकर्ता की आपराधिक पृष्ठभूमि का पता लगाया जाएगा। आपराधिक रिकार्ड के लिए बीजेपी संगठन पुलिस वेरीफिकेशन भी करवा सकती है।
युवा मोर्चा की कार्यकारिणी का एलान रुका
दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है यही वजह है कि ध्रुव जासूसी कांड के खुलासे के बाद भाजपा संगठन ने युवा मोर्चे की नई प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा रोक दी है। माना जा रहा है कि आपराधिक रिकॉर्ड खंगालने और पुलिस सत्यापन के बाद ही भाजयुमो की नई कार्यकारिणी की सूची जारी की जाएगी।
पार्टी नेतृत्व ने साधी चुप्पी
जासूसी कांड के बाद पदाधिकारियों की नियुक्ति को लेकर लिए गए फैसले पर पार्टी का कोई भी नेता खुलकर बोलने से बच रहा है। कोई इस बात का खंडन नहीं कर रहा है, लेकिन खुलकर हां बोलने से भी बच रहा है। भारतीय जनता पार्टी में आपराधिक छवि के लोगों के शामिल होने और उनके वेरीफिकेशन किए जाने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा, 'भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ता आधारित राजनीतिक दल है। स्वाभाविक है कि ऐसे लोग भाजपा में नहीं आ पाए। कार्यक्रम और गतिविधियों में ये लोग किस स्वरूप में आते है ये देखने और समझने वाला विषय है। कार्यकारिणों में ध्यान रखकर और परीक्षण कर लोग आए।
क्या कहता है भाजपा का संविधान
वर्ष 1980 में भाजपा की स्थापना के बाद से अब तक संगठन में एक प्रक्रिया के तहत ही पदों पर नियुक्ति की जाती है। बीजेपी संविधान के मुताबिक सक्रिय कार्यकर्ता को ही पार्टी में पदाधिकारी नियुक्ति किया जाता है। कोई पार्टी सदस्यता लेता है तो वह 6 वर्ष तक सामान्य कार्यकर्ता रहता है। इसके बाद ही वह सक्रिय कार्यकर्ता बनता है। पार्टी के मंडल अध्यक्ष को सक्रिय कार्यकर्ता का दर्जा देने का अधिकार हासिल है। प्रदेश भाजपा का पदाधिकारी बनाने के लिए जिला अध्यक्ष से नाम बुलाए जाते हैं। जिले में पदाधिकारी की नियुक्ति के लिए मंडल अध्यक्ष की सिफारिश जरुरी होती है। हालांकि, हाल के वर्षों में पार्टी में जिलों और मंडलों में पदों पर नियुक्तियों में संगठन मंत्रियों का दखल तेजी से बढ़ा है। पार्टी में संगठन मंत्री ऐसा सशक्त दायित्व है हैं जो पूर्णकालिक कार्यकर्ता होते हैं और पर्दे के पीछे रहकर संभागीय और जिलों में सक्रिय रहते हैं।