भोपाल। समान काम समान वेतन के लिए कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं। खाली खजाने वाली शिवराज सरकार उन पर लाठियां बरसा रही है लेकिन वही सरकार एक विभाग के करीब 70 कर्मचारियों को पिछले 45 साल से बिना काम के वेतन दे रही है। एक ऐसे विभाग का हर साल 10 करोड़ का खर्चा उठाया जा रहा है, जिसने ना तो आज तक कोई काम किया और ना ही सीएम ने उसकी कभी समीक्षा की। भाजपा आरोप लगाती है कि कांग्रेस की सरकारें भ्रष्टाचार को संरक्षण देतीं थीं इसलिए इस तरह की संस्थाओं को शिथिल कर दिया गया था परंतु मप्र में पिछले 15 साल से भाजपा की सरकार है। फिर इस संस्था को एक्टिव क्यों नहीं किया गया।
भोपाल के पत्रकार श्री धनंजय प्रताप सिंह की रिपोर्ट के अनुसार सड़क, पुल-पुलिया, बांध सहित सभी छोटी-बड़ी परियोजनाओं के निर्माण की गुणवत्ता पर नजर रखने के लिए सरकार ने 45 साल पहले मुख्य तकनीकी परीक्षक (CTE) का पूरा तंत्र खड़ा किया। सामान्य प्रशासन विभाग के अधीन आने वाले इस विभाग के गठन का एक मकसद भ्रष्टाचारियों को सबक सिखाना भी था, लेकिन 10 करोड़ सालाना खर्च वाले इस विभाग के नाम इन 45 सालों में ऐसी कोई उपलब्धि नहीं है, जिससे सरकार का पैसा बचा हो या निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार उजागर हुआ हो। सीटीई के दफ्तर में एक प्रमुख अभियंता (ईएनसी), 3 मुख्य अभियंता(सीई), 6 कार्यपालन अभियंता(ईई) सहित 70 लोगों का अमला है।
पूरा अमला प्रतिनियुक्ति पर
सीटीई का पूरा अमला प्रतिनियुक्ति पर काम कर रहा है। किसी अफसर की कोई जिम्मेदारी नहीं है। अफसर आते हैं और अपने मूल विभाग से जुड़े मामलों को निपटाते हैं। जानकारों के मुताबिक यदि सीटीई का खुद का अमला होता तो वह दमदारी से निर्माण कार्यों की जांच कर गड़बड़ी पकड़ सकता था। आमतौर पर अब सीटीई को लूप लाइन मानकर पदस्थापना की जाती है।
इतना बड़ा है सीटीई का अमला
कुल 70 लोगों का स्टॉफ स्वीकृत
53 अधिकारी-कर्मचारी कार्यरत
इसमें 1 प्रमुख अभियंता (ईएनसी) सहित 3 चीफ इंजीनियर और 6 एग्जीक्युटिव इंजीनियर सहित सहयोगी स्टॉफ है।
दफ्तर में होता है टाइम पास
राजधानी के अरेरा हिल्स स्थित मुख्य तकनीकी परीक्षक कार्यालय का माहौल देखकर ही समझ में आ जाता है कि यहां अधिकारी-कर्मचारी टाइम पास के अलावा कुछ नहीं करते। पूरे कार्यालय में इतना सन्नाटा है कि गलियारे में घूमते हुए कमरे में हो रही सामान्य बातों को सुना जा सकता है। कमरों में झांकते ही कोई लंच करता हुआ मिलता है तो कोई निजी कामों को निपटा रहा होता है। जब हम इस दफ्तर में पहुंचे तो छह-सात कमरों में एक भी कर्मचारी फाइलों से उलझा नहीं दिखा। 53 लोगों के स्टॉफ में 10 से 11 अधिकारी हैं, लेकिन सिर्फ 1 अधिकारी ही कार्यालय में मौजूद थे। बाकी सभी टूर के नाम पर शहर से बाहर थे।
बुंदेलखंड पैकेज में गड़बड़ी की जांच सबसे बड़ी उपलब्धि
45 सालों के इतिहास में मुख्य तकनीकी परीक्षक अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि कुछ समय पहले बुंदेलखंड पैकेज के तहत हुए निर्माण कार्यों में गड़बड़ी की जांच को बताता है। सीटीई के एग्जिक्युटिव इंजीनियर एलएल प्रजापति के मुताबिक करीब 6 हजार करोड़ के निर्माण कार्यों की जांच सीटीई ने की थी। जिसमें बड़े पैमाने पर अनियमितता पाई गई। इसकी रिपोर्ट विभागों को भी सौंप दी गई। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रमुख अभियंता जीएस डामोर के मुताबिक सभी दोषी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू होगी।
हकीकत
बुदेलखंड पैकेज में गड़बड़ी का मामला सबसे पहले केंद्र सरकार की केंद्रीय मॉनीटरिंग कमेटी ने पकड़ा था। बाद में योजना आयोग ने जांच के लिए सांसदों की कमेटी भी बना दी थी। इसमें मप्र और उत्तरप्रदेश दोनों ही राज्यों में हुए निर्माण कार्यों में गड़बड़ी सामने आई थी।
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