मोदी सरकार ने की मप्र के 34 शहरों के बुनियादी बजट में 2050 करोड़ की बड़ी कटौती

भोपाल। लक्झरी आयोजन और बड़े बड़े विज्ञापनों पर पानी की तरह पैसा बहा रही शिवराज सरकार के पास पानी के लिए भी पैसा नहीं है। इधर मोदी सरकार ने 34 शहरों में पेयजल, सीवेज, ड्रेनेज और पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसी बुनियादी सुविधाओं के बजट में 2050 करोड़ की बड़ी कटौती की है। यह इतनी बड़ी है कि कई शहरों में हाहाकार मचेगा तो कई शहरों का विकास 10 साल पीछे चला जाएगा। 

भोपाल के पत्रकार श्री कुलदीप सिंगोरिया की रिपोर्ट के अनुसार शहरी विकास के लिए यूपीए की स्कीम जेएनएनयूआरएम की तर्ज पर शुरू की गई अटल मिशन फॉर रिजुवनेशन एंड अर्बन ट्रांसफार्मेशन (अमृत) के तहत केंद्र सरकार से प्रदेश के 34 शहरों में पानी, सीवेज, ड्रेनेज और पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसी बुनियादी सुविधाओं को विकसित करने के लिए 8250 करोड़ रुपए की बजाय महज 6200 करोड़ रुपए ही मिलेंगे। यानी 2050 करोड़ रुपए की बड़ी कटौती की गई है। वहीं भोपाल को भी अब 580 करोड़ रुपए कम मिलेंगे।

केंद्र सरकार ने 25 जून 2015 को 48000 करोड़ रुपए के बजट वाले 'अमृत' को लांच किया था। मिशन में आबादी के आधार पर हर राज्य का बजट तय किया था। नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने इसी फार्मूले आगामी पांच साल के लिए स्टेट एक्शन प्लान बनाया। डेढ़ साल पहले केंद्र से इसे मंजूरी भी मिल गई और तकरीबन सभी शहरों में डीपीआर बनाकर टेंडर भी कर दिए। अब अचानक ही केंद्र सरकार पीछे हट गई।

यह होगा असर
एक बार फिर सीवेज नेटवर्क समेत अन्य प्रोजेक्ट्स में रकम की कमी की वजह से कई हिस्से छूट जाएंगे। इससे सरकार पर भेदभाव के आरोप लगेंगे। भोपाल में पानी के लिए पहले भी टुकड़ों में प्रोजेक्ट मंजूर हुए, जिससे लागत भी बढ़ी और अलग-अलग कंपनियों के काम करने से तालमेल भी नहीं बना। अब नए प्रोजेक्ट में इन्हीं खामियों को दूर करने 160 करोड़ फिर खर्च हो रहे हैं। वहीं, पहले से पब्लिक ट्रांसपोर्ट और ड्रेनेज नेटवर्क की मांग पूरी नहीं हुई। अब दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर के काम और लंबित होंगे।

इनका कहना है
पांच साल का प्लान है, जिसमें केंद्र सरकार ने कहा कि अच्छा काम करेंगे तो इंसेटिव मिलेगा, इसलिए अभी भले ही रकम कम हुई, लेकिन बाद में हम इंसेंटिव के रूप में भरपाई कर लेंगे।
माया सिंह, मंत्री, नगरीय विकास एवं आवास विभाग

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