
तिवारी ने इस हवाला कारोबार की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया था। 4 जनवरी को एसआईटी की जांच में घोटाले के सबसे बड़े सूत्रधार सरावगी बंधुओं के नाम सामने आए थे। इनके चार नौकरों के नाम से कई बोगस कंपनियां बनाई गईं थीं। इन बोगस कंपनियों के खातों से करीब 100 करोड़ रुपए के संदिग्ध लेन-देन की बातें सामने आ चुकी हैं।
लकड़ी माफिया के खिलाफ जंग छेड़ी थी
6 जनवरी तक सरावगी के दो नौकर संदीप बर्मन और संजय तिवारी को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने पूछताछ में सरावगी के राज्य सरकार में मंत्री संजय पाठक के रिश्तेदारों से नजदीकियों की बात बताई थी। सरावगी इसके बाद फरार बताए जा रहे हैं। उनके यहां से एक मिनी ट्रक भरकर दस्तावेज बरामद किए गए हैं। इससे पहले भी तिवारी ने बालाघाट एसपी रहते हुए लकड़ी माफिया के खिलाफ जंग छेड़ी थी, जिसमें वहां के तत्कालीन कलेक्टर वी किरण गोपाल पर भी आरोप लगे थे। इसके बाद किरण गोपाल को सरकार ने बालाघाट कलेक्टर पद से हटा दिया गया था। कुछ समय बाद ही तेजतर्रार अफसर गौरव तिवारी का ट्रांसफर कर कटनी एसपी बनाया गया था।
सरावगी की मंत्री से सांठगांठ की बात सामने आई
एकाउंटेंट ने सरागवी बंधुओं द्वारा सत्ताधारी पार्टी के एक रसूखदार नेता की पार्टनरशिप होने का बयान रिकार्ड कराया था। शनिवार की रात एसआईटी ने सरावगी बंधुओं के कारोबार से संबंधित रिकार्डों को नष्ट करने से पहले जब्त कर लिया था। इसके बाद राजनीतिक गलियारों में उथल-पुथल मच गई थी। रसूखदार नेता भोपाल में डेरा डाले हुए थे।