
वर्तमान में भी मंडल की अंकसूची में क्यूआर कोड लगा होता है लेकिन इसमें पूरी अंकसूची लोड नहीं होती। एडवांस क्यूआर कोर्ड में नई व्यवस्था की गई है। इसके तहत अब क्यूआर कोड से पूरी अंकसूची हूबहू लोड हो जाएगी। खास बात यह है कि इससे छात्रों को वैरिफिकेशन के लिए भी मंडल के चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
कैसे काम करती है प्रणाली
क्यूआर कोड बार कोडिंग का आधुनिक रूप है। इसके लिए मोबाइल पर क्यूआर कोड स्कैनर लोड करना पड़ता है। जब इस एप को अंकसूची पर लगे क्यूआर कोड के सामने लाया जाता तो यह उसे स्कैन कर लेता है।
मंडल के अधिकारियों के मुताबिक अब तक इसके माध्यम विषयों के अंक सामने आते थे लेकिन अब अंकसूची की प्रतिलिपि भी उपलब्ध हो सकेगी। इसका फायदा यह होगा कि छात्रों को मूल दस्तावेज ले जाने की जरूरत नहीं होगी। वे इसे मोबाइल पर लोड कर सकते हैं और प्रिंटआउट ले सकते हैं।
यूनिक होता है कोड
मंडल के अधिकारियों के मुताबिक क्यूआर कोड यूनिक होता है। इसकी कॉपी नहीं की जा सकती। इसलिए इसमें किसी भी प्रकार के फर्जीवाड़े की संभावना ही नहीं है। इसका एक अन्य फायदा यह भी होगा कि छात्रों को अंकसूची के सत्यापन के लिए मंडल के आने की जरूरत भी नहीं होगी। यह अपने आप में ही सत्यापित कॉपी होती है। एडवांस क्यूआर कोड प्रणाली के लिए टेंडर किए जाने की तैयारी चल रही है। अब परीक्षा में दो महीने से भी कम समय बचा है इसलिए संभव है कि इसे अगले सत्र से लागू किया जाए। अगर समय पर व्यवस्था हो गई तो इस साल भी छात्रों को एडवांस क्यूआर कोड वाली अंकसूची मिल सकती है।