नाबालिग बच्चों ने किया क्राइम तो जेल जाएंगे मां-बाप या पालक

भोपाल। यदि आपका नाबालिग बच्चा कोई क्राइम करता है तो उसके माता पिता या पालक या फिर वो व्यक्ति जिसकी संगत में बच्चा क्राइम कर रहा है, जेल भेजा जा सकता है। उसके खिलाफ पुलिस जेजे एक्ट की धारा 83 के तहत केस दर्ज कर सकेगी। इसके लिए सात साल सजा और पांच लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। हालांकि, केस दर्ज करने से पहले पुलिस बालक और उसके संरक्षक को न्याय बोर्ड के सामने पेश करेगी। केस दर्ज करने का फैसला बोर्ड ही करेगा। 

किशोर न्याय अधिनियम-2015 आदर्श नियम-2016 बालकों के देखरेख एवं संरक्षण अधिनियम में संशोधन हुआ है। डीआईजी डॉ. रमन सिंह सिकरवार ने इस संबंध में जिले के सभी थाना प्रभारियों, सीएसपी, एएसपी और एसपी को संशोधित अधिनियम का पालन कराने के निर्देश जारी किए हैं। 

शुक्रवार को जारी हुए निर्देश में जेजे एक्ट की तकरीबन सभी धाराओं को विस्तार से समझाया गया है। डीआईजी के मुताबिक जेजे एक्ट की धारा 75 के तहत बाल विवाह को क्रूरता माना गया है। ऐसा करते पाए जाने पर बालक के संरक्षक को आरोपी बनाया जा सकता है। पुलिस अमूमन ऐसे मामलों में शादी रुकवा देती थी या बाल विवाह अधिनियम के तहत कार्रवाई करती थी, जिसमें दो वर्ष तक की सजा का प्रावधान है। 

केवल जघन्य मामलों में होगी बच्चों के खिलाफ FIR 
सात साल से कम सजा वाले अपराधों में बालक को आरोपी नहीं बनाया जाएगा। ऐसे मामलों में बालक द्वारा किए गए अपराध को डे डायरी (डीडी) में दर्ज किया जाएगा। डीडी को न्याय बोर्ड के सामने पेश किया जाएगा। बालकों के खिलाफ वही अपराध दर्ज किए जाएंगे, जो सात साल से ज्यादा सजा वाले (जघन्य) हों। इससे कम सजा वाले अपराध भी तभी दर्ज होंगे, जब बालक ने इस अपराध को अंजाम देते वक्त किसी वयस्क का साथ लिया हो। 

अंगभंग कर भीख मंगवाई तो भी खैर नहीं 
एक्ट की धारा 76 के तहत 5 साल की सजा और एक लाख जुर्माने का प्रावधान किया गया है। यदि बच्चे के अंग-भंग कर भीख मंगवाई जा रही है तो ऐसा करने वाले धारा 77 के तहत भी आरोपी बनेंगे और सजा ज्यादा होगी। ऐसी ही कार्रवाई बालकों से नशीले पदार्थ की स्मगलिंग करवाने वालों के खिलाफ भी की जाएगी। 

राजधानी में लागू, अब प्रदेश की बारी 
चाइल्ड लाइन भोपाल डायरेक्टर अर्चना सहाय के मुताबिक संशोधित अधिनियम के तहत कार्रवाई करने के लिए थाना प्रभारियों और सीएसपी से मिलते रहे हैं। लेकिन वे कोई आदेश न होने के कारण कार्रवाई से बचते थे। डीआईजी ने शुक्रवार को ये निर्देश जारी कर दिए हैं। प्रदेशभर में इसे लागू करवाने के लिए डीजीपी ऋषिकुमार शुक्ला से भी समय लिया है। 

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