
पं. चतुर्वेदी के अनुसार गुप्त नवरात्रि में काली की पूजा का विशेष महत्व है। सच्चे मन से स्मरण करने से ऊर्जावान होने के साथ ही आयु लंबी व निरोगी होती है। इस दौरान भी अन्य नवरात्रि की तरह ही पूजा करनी चाहिए। नौ दिन उपवास का संकल्प लेकर प्रतिपदा को घटस्थापना करें। प्रतिदिन सुबह-शाम मां दुर्गा की पूजा करें। अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन व व्रत का उद्यापन करें। तंत्र साधना के लिए गुप्त नवरात्रि का ज्यादा महत्व होता है। इनका फल अधिक मिलता है।
चैत्र व आषाढ़ की नवरात्रि 8 दिन की रहेगी
दो 29 मार्च से चैत्र नवरात्रि शुरू होगी। तिथि के क्षय के कारण यह 8 दिन की रहेगी। 5 अप्रैल को राम नवमी पर बुध पुष्य नक्षत्र योग भी है। 25 जून को आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि शुरू होगी। तिथि क्षय होने से यह भी 8 दिन रहेगी और 2 जुलाई को पूर्ण हो जाएगी। 21 सितंबर को शारदीय नवरात्र शुरू होगी। यह पूर्ण नवरात्रि (9 दिन) 29 सितंबर तक रहेगी। यह सबसे खास मानी जाती है। इसमें माता की अराधना के साथ गरबा भी होता है।