
मेंहदीवाड़ा, झालीवाड़ा, कौलीवाड़ा, सिंगोड़ी, रामपायली सहित करीब 10 ग्रामो में किसान बेवजह के खेत में भरे पानी से परेशान है। हालांकि अभी खेत में भरे पानी से एक निश्चित फसल नुकसानी का आंकड़ा तो नहीं मिला है लेकिन ऐसी संभावनायें जताई जा रही है कि लगभग 3 सौ एकड़ की खेती को इसका नुकसान पहुंचा है। ग्रामीणों की मानें तो नहर का पानी खेत में घुसता हुआ दिखाई देने पर कृषक भरी ठंड की सुबह में भागते हुए नजर आये और उन्होंने किसी तरह कुलापे से खेत की ओर प्रवाहित हो रहे कुलापे से पानी को बंद करने का प्रयास किया। बताया जाता है कि नहर में छोड़ा गये पानी से 11 दिसंबर की सुबह नहर से लगे खेतों में पानी का भराव देखकर कृषक चिंतित हो उठे। नहर में छोड़े गया पानी नहर के कुलापो के चालू रहने से नहर का पानी खेतों में पहुंच गया।
जिसे सुबह किसानों ने देखा तो वह परेशान हो उठे और किसी तरह खेत में पड़ी फसल को बचाने के जतन में जुट गये। वह खेत में पड़ी फसल की खरई को किसी तरह सुरक्षित बचाना चाहते थे। जबकि जिन खेतो में पानी भरा है उन किसानो की मानें तो उन्होंने नहर से पानी की मांग नहीं की थी। जानकारी अनुसार रबि की फसल गेहूं, चना आदि के लिये कुछ किसानो ने नहर के माध्यम से पानी की मांग की मांग की थी। बैनंगगा अधर नहर अनुविभाग वारासिवनी ने नहरो के माध्यम से गत रात्रि मेे पानी भी छोड दिया था किन्तु विभाग के अधिकारियो की निष्क्रियता का ही परिणाम है कि नहर के कुलापे खुले छोड़ दिये और नहर से जा रहे पानी पर ध्यान नहीं दिया और सुबह नहरों के पानी में किसानों के खेतों में पहुंचकर किसानों की चिंता बढ़ा दी।
पानी देन के पीछे की बात पर यदि गौर करें तो सिचांई विभाग ने ढूटी बांध से पानी तो छोड़ा, जिसे मेढकी ब्रांच और वारासिवनी ब्रांच के हिस्से में वितरित होना था लेकिन मेंढकी ब्रांच बंद होने से पूरा पानी वारासिवनी ब्रांच के माध्यम से नहर में तेज गति से बहते हुए आसपास के किसानों के खेत मे घुस गया। जिससे किसानों में अपनी फसल को लेकर चिंता लाजिमी है। जिस पर किसानों ने आक्रोश भी जाहिर किया है और जिला प्रशासन से मांग की है कि ऐसे गैर जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्यवाही की जायें। एकाएक खेत में घुसे पानी से आंदोलित और आक्रोशित किसानों ने उन्होने अभी गेंहू और चने की बुआई की गई थी, वह भी पानी से पूरी तरह से खराब होने की कागार पर है। किसानो को चिंता इस बात की भी सता रही है कि पकी हुई धान की फसल की खरई के आसपास पानी ही पानी होने से आखिर खेत में फसल को कहां सुरक्षित करे?