राजेश शुक्ला/अनूपपुर। महिला सशक्तिकरण के लिए भले ही आरक्षण की कितनी भी नीतियां बन जाएं परंतु महिलाओं की किस्मत मंच नहीं चूल्हे ही होंगे। इसी बात को प्रमाणित करता है आज यहां हुआ नगरोदय अभियान का कार्यक्रम। जिसमें प्रेक्षक एवं सहकारिता आयुक्त कवीन्द्र कियावत, कलेक्टर अजय शर्मा, नगर पालिका सीएमओ सुश्री कमला कोल सहित अध्यक्ष व पार्षद गणों के सामने महिला पार्षदों के पतियों ने मंच साझा किया। किसी ने कोई आपत्ति भी नहीं उठाई। उल्लेखनीय यह भी है कि कार्यक्रम में महिला पार्षद दर्शकदीर्घा में भी उपस्थित नहीं हो सकीं।
पांच वर्ष में एक बार दिखती महिला पार्षद
जब-जब नगर पालिका का चुनाव होता है तभी उनके पतियो की छवि को देखकर राजनैतिक दल टिकट देकर प्रत्याशी बना दिया जाता है। चुनाव के समय ही वो जनता के बीच पहुंच वोट मांगती है। उसके बाद पूरे 5 वर्षो तक उनके कार्यो का अंजाम उनके दबंग राजनैतिक दल से तल्लुक रखने वाले पति या पुरुष निभाते है। जब-जब परिषद की बैठक होती है कभी कभार बैठको में ही उनकी उपस्थिति नजर आती है। अधिकांश महिला पार्षद तो ढाई वर्षो में कभी अपने वार्डो में घुमने भी नही पहुंच सकी है।
पति नही बैठे तो बैठक का हुआ बहिष्कार
कुछ दिनो पूर्व अनूपपुर जनपद पंचायत में जनपद सदस्यों की बैठक हुई जिसमें नवागत मुख्य कार्यपालन अधिकारी के.पी. राजौरिया ने बैठक के दौरान देखा की अधिकांशत: महिला जनपद सदस्यो के पति अपने पतियो के साथ बैठक में शामिल हुए थे। श्री राजौरिया ने उन्हे बैठक से बाहर जाने को कहा तो अधिकांशत: जनपद सदस्य महिलाएं जो घरेलू महिला थी जिन्हे राजनीति की एबीसीडी भी ज्ञात नही थी, उन महिलाओ ने अपने पतियो के कहने पर बैठक का बहिष्कार कर दिया। जिसके कारण बैठक स्थगित करनी पडी थी।
कैसे बने महिला आत्मनिर्भर
एक ओर केन्द्र व प्रदेश शासन द्वारा महिलाओ के उत्थान व समाज में आगे लाने के साथ ही देश व प्रदेशको कैशलेस, डिजिटल इंडिया जैसे योजनाओ का संचालन कर रही है, लेकिन आज भी राजनीति में आने वाली महिलाएं घरेलू होने के कारण अपने पतियो के दिशा निर्देशो पर कार्य कर बंधी हुई है। जिससे अनुमान लगाया जा सकता है की आज भी समाज में महिला आत्मनिर्भर क्यो नही बन सकी।