
दरअसल यह धन्यवाद पत्र उन्हें इसलिए भेजा गया था, क्योंकि उनका नाम गैस सब्सिडी छोड़ने वालों में शामिल हो गया था, जबकि तुलसीराम की इतनी हैसियत ही नहीं। नतीजतन, पति-पत्नी माथा पकड़कर बैठ गए।
शहर में ऐसे करीब चार हजार परिवार हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री के धन्यवाद ने चौंकाया और फिर तगड़ा झटका दे दिया। ये परिवार समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर ये सब हुआ कैसे।
27 मार्च 2015 को जब प्रधानमंत्री ने अमीरों से देश हित में गैस सब्सिडी छोड़ने के लिए "गिव इट अप" अभियान शुरू कर अपील की थी, तब किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि प्रधानमंत्री की नेक अपील सब्सिडी छोड़ने की हाईटेक व्यवस्था के कारण गरीबों की मुश्किल भी बढ़ा देगी।
प्रधानमंत्री कार्यालय से शहर में करीब छह हजार धन्यवाद पत्र गैस एजेंसियों को भेजे गए हैं। ये उन गैस कनेक्शनधारकों को दिए जाने हैं, जिन्होंने पीएम की अपील पर अपनी सब्सिडी छोड़ दी है। ये धन्यवाद पत्र ही अब गरीब परिवारों के होश उड़ा रहे हैं।
दरअसल, "गिव इट अप" अभियान के तहत कोई उपभोक्ता अपने मोबाइल पर सिलेंडर बुक कराता था तो उसे सबसे पहले मोदी की अपील सुनाई देती थी। इसमें सब्सिडी छोड़ने के लिए "जीरो" का बटन दबाने की अपील की जाती थी। बाद में इसे बदलकर "पांच" दबाने को कहा जाने लगा।
अनपढ़ और मजदूर वर्ग के हजारों लोग संदेश को पूरा सुने बिना ही यह बटन दबा देते थे। इससे न चाहते हुए भी उनकी गैस सब्सिडी छूट गई। अब इन्हें प्रधानमंत्री का धन्यवाद पत्र खुशी की जगह दर्द दे रहा है।
हजारों को वापस मिला हक
धन्यवाद पत्र मिलते ही गरीब कनेक्शन धारक सब्सिडी वापस पाने के लिए भाग दौड़ कर रहे हैं। वे एजेंसियों के चक्कर लगा रहे हैं। एक एजेंसी संचालक ने बताया कि जिनकी सब्सिडी गलती से छूट गई है, उसे फिर से बहाल कर दिया गया है। उनकी सब्सिडी फिर से जोड़ी गई है। इसके लिए प्रक्रिया भी आसान है। टोल फ्री नंबर 1800224344 पर फोन करने से सब्सिडी मिलने लगती है।