नोटबंदी का असर कोर्ट पर: जमानत में जमा हुए 10 हजार सिक्के

भोपाल। नोटबंदी को पूरा एक माह बीत गया है, लेकिन इसका असर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। राजधानी की जिला अदालत में गुरुवार को नोटबंदी के असर का एक अनोखा वाकया सामने आया। करोड़ों रुपए के घोटाले के आरोप में जेल में बंद एक व्यक्ति के परिजनों ने उसकी रिहाई के लिए चिल्लर में डेढ़ लाख रुपए की जमानत राशि जमा कराई है।

सेंट्रल मध्य क्षेत्र प्रदेश ग्रामीण बैंक के मैनेजर की मदद से फर्जी खातों के जरिए रामबाबू गुर्जर ने घोटाले को अंजाम दिया था। रामबाबू पिछले एक माह से भोपाल सेंट्रल जेल में बंद है। पिछले दिनों मप्र हाईकोर्ट ने रामबाबू को 1.5 लाख रुपए जिला अदालत में जमा करने की शर्त और 50 हजार रुपए की सक्षम जमानत पेश करने पर रिहाई के आदेश दिए थे। हाईकोर्ट से जमानत आदेश मिलने के बाद आरोपी रामबाबू के परिजन सीबीआई विशेष न्यायाधीश रविन्द्र कुमार भद्रसेन की अदालत में जमानत तस्दीक कराने गुरुवार को पहुंचे थे।

आरोपी के परिजनों ने जमानत के लिए दस्तावेज पेश कर दिए, लेकिन जब 1.5 लाख रुपए जमानत राशि जमा करने के बात आई तो उन्होंने कोर्ट रीडर के सामने चिल्लरों से भरा थैला रख दिया। रीडर साहब ने जब थैले को देखा तो उसमें 10 रुपए के सिक्के भरे थे जो कि करीब 7 हजार रुपए के थे।

शेष राशि में 10 रुपए के 300 नोट, 100 रुपए के 680 नोट और 2000 के 36 नोट थे। रीडर साहब चिल्लर में दी गई राशि को देखकर घबरा गए और फिर दो अन्य सहयोगी कर्मचारियों के साथ मिलकर करीब 3 घंटे जमानत राशि की गिनती की। घंटों मेहनत के बाद उन्होंने यह राशि अदालत परिसर में स्थित बैंक में जमा करने को दी जहां पर बैंक कर्मचारियों को भी राशि की गिनती में घंटों मशक्कत करनी पड़ी।

बैंक मैनेजर के साथ मिलकर किया 10 करोड़ का घोटाला
सेंट्रल मध्यप्रदेश ग्रामीण बैंक प्रबंधक सुनील श्रीवास्तव ने 4 जून 2013 को सीबीआई को लिखित शिकायत की थी। इसमें कहा गया था कि बैंक के तत्कालीन प्रबंधक सैयद साजिद असलम ने वर्ष 2008 से 2011 के बीच पदस्थ रहते हुए 10 करोड़ रुपए से भी अधिक का गबन किया है। आरोपी ने इस काम को अपने ससुर सैयद वाहिद के साथ मिलकर किया था।

दोनों मिलकर बैंक में फर्जी खाते खुलवाकर फर्जी लोन स्वीकृत कराए थे। बाद में यह राशि आरोपी बैंक मैनेजर के ससुर सैयद वाहिद ने निकाल ली। इस काम के लिए उन्होंने रामबाबू गुर्जर, जय सिंह सिसौदिया, विजय सिंह गुर्जर, राजाराम रघुवंशी , अमित गुप्ता, रमेश गुप्ता, ऊषा गुप्ता, सूरज गुर्जर और राजेश गुप्ता के साथ मिलकर अंजाम दिया था। इस मामले में सीबीआई ने आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत धोखाधड़ी, जालसाजी, फर्जीवाड़े और षडयंत्र करने का अपराध कायम किया था।

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