
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, नियमों के उल्लंघन पर ‘न्यूज टाइम असम’ एक दिन ऑफ एयर रहेगा। न्यूज टाइम असम को 9 नवंबर को ही एक दिन के लिए बंद रखा जाएगा। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने 2 नवंबर को इस आदेश को पारित किया है। चैनल पर तय की गई गाइडलाइन के उल्लघंन का आरोप है। चैनल पर लगाए गए आरोपों में से एक आरोप मालिक द्वारा प्रताड़ित किए गए नाबलिग घरेलू नौकर की पहचान को सार्वजनिक करना भी है। इसके अतिरिक्त चैनल द्वारा दिखाए चित्रण में बालक की निजता और सम्मान को ठेस पहुंचाने का भी आरोप है।
इससे पहले हिंदी समाचार चैनल एनडीटीवी इंडिया पर केंद्र सरकार ने एक दिन बंद रखने का आदेश सुनाते हुए कहा कि, ‘भारतभर में किसी भी मंच के जरिए एनडीटीवी इंडिया के एक दिन के प्रसारण या पुन: प्रसारण पर रोक लगाने के आदेश दिए गए हैं। यह आदेश 9 नवंबर, 2016 को रात 12 बजकर 1 मिनट से 10 नवंबर, 2016 को रात 12 बजकर 1 मिनट तक प्रभावी रहेगा।’
भारत सरकार द्वारा केबल टीवी नेटवर्क (नियमन) कानून के तहत प्राप्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए ये आदेश सुनाया है। एनडीटीवी पर सरकार के फैसले के समूचे राजनीतिक जगत में भी आलोचना हो रही है। सोशल मीडिया पर इसे ‘मीडिया की स्वतंत्रता का हनन’ बताया जा रहा है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इस प्रतिबंध के आदेश को स्तब्ध करने वाला और अभूतपूर्व बताया है। जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी एनडीटीवी पर एक दिन का प्रतिबंध लगाए जाने के फैसले पर कहा, ‘क्या यही वे अच्छे दिन हैं, जिनका वादा किया गया था?’ वहीं पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा है कि इस फैसले से लग रहा है कि देश में आपातकाल जैसे हालात हैं। बिहार के सीएम नीतिश कुमार ने भी मोदी सरकार के इस फैसले का विरोध किया है।
अपने वीडियो के बारे में एनडीटीवी इंडिया ने कहा, ”सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का आदेश प्राप्त हुआ है। बेहद आश्चर्य की बात है कि NDTV को इस तरीके से चुना गया। सभी समाचार चैनलों और अखबारों की कवरेज एक जैसी ही थी। वास्तविकता में NDTV की कवरेज विशेष रूप से संतुलित थी। आपातकाल के काले दिनों के बाद जब प्रेस को बेड़ियों से जकड़ दिया गया था, उसके बाद से NDTV पर इस तरह की कार्रवाई अपने आप में असाधारण घटना है। इसके मद्देनजर NDTV इस मामले में सभी विकल्पों पर विचार कर रहा है।”