
सचिवों के अपने तर्क
मप्र शासन के ऐसे कोई निर्देश नहीं जिसके आधार पर सचिवों की परीक्षा ली जा सके।
परीक्षा में फेल होने पर पास करने के एवज में हो सकता है भ्रष्टाचार।
ग्रेडिंग तय करने से मान-सम्मान को पहुंचेगी ठेस।
सचिव हर वक्त हितग्राहियों से मिलने जाते रहते हैं सुबह-शाम ई-अटेण्डेंस लगाना होगा मुश्किल।
कार्यालय आकर फिर 5 से 10 किमी निरीक्षण पर जाना और फिर कार्यालय आना होगा मुश्किल।
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जिला पंचायत की ये है व्यवस्था ग्रेडिंग सिस्टम
27 नवम्बर से ग्रेडिंग सिस्टम के तहत सचिवों की परीक्षा लेकर नंबर के आधार पर ग्रेडिंग तय की जाएगी। इससे पंचायतों में कराए जा रहे विकास कार्य और ग्रामीणों को योजनाओं का लाभ मिल रहा या नहीं इसकी जमीनी हकीकत हर माह सामने आएगी। जहां जो कमियां रहेगी उन्हें दूर किया जाएगा। लगातार खराब ग्रेडिंग में लगातार पिछड़े रहने वाले सचिवों पर कार्रवाई की जाएगी।
ई-अटेण्डेंस
1 दिसम्बर से संभावित ई-अटेण्डेंस व्यवस्था लागू होने से सचिव समय पर दफ्तर पहुंचेंगे। सचिव को खोजने ग्रामीणों को भटकना नहीं पड़ेगा। सचिव दिन भर फील्ड में भले ही रहे पर सुबह-शाम दफ्तर में मौजूद रहेंगे। जीपीएस लोकेशन से मोबाइल पर हाजिरी की मॉनीटरिंग जिला पंचायत से की जाएगी।
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प्रदेश में कहीं भी पंचायत सचिवों की ग्रेडिंग तय करने का नियम नहीं है। सचिवों ने इस व्यवस्था का बहिष्कार किया है। ई-अटेण्डेंस व्यवस्था लागू होने सचिव को समय पर दफ्तर आना-जाना होगा। वे हितग्राहियों से मिलकर उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं करा पाएंगे।
राजेन्द्र पटेल, जिला अध्यक्ष, मप्र पंचायत सचिव संगठन
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कामकाज के आधार पर पंचायत सचिवों का स्तर परखने की पूरी तैयार कर ली गई है। किन्हीं कारणों से 27 नवम्बर को सचिवों की परीक्षा नहीं होगी। लेकिन अगले सप्ताह से इसे लागू कर दिया जाएगा।
प्रकाश चतुर्वेदी, एडीशनल सीईओ