शहडोल चुनाव: अपने ही रूठे गए, कैसे जीतेंगे ज्ञान सिंह

शहडोल। उपचुनाव को जीतने के जतन में लगी भाजपा के लिए उसके अपने ही मुसीबत बन रहे हैं। दिवंगत सांसद दलपत सिंह परस्ते के परिवार के अधिकांश सदस्य पहले से ही ज्ञान सिंह की उम्मीदवारी का विरोध कर रहे थे, अब पूर्व विधायक सुदामा सिंह और नरेन्द्र मरावी के चुनाव में रुचि न लेने से भाजपा की पेशानी पर बल पड़ गए हैं। 

दिवंगत सांसद दलपत सिंह परस्ते की पुत्री गीता सिंह परस्ते इस चुनाव में टिकट की तगड़ी दावेदार थीं। उन्होंने खुद को या फिर उनके भाई दुर्गेश सिंह को टिकट देने के लिए पार्टी से आग्रह किया था पर भाजपा ने सर्वे के नाम पर ज्ञान सिंह का नाम चुना। इसके बाद गीता सिंह ने निर्दलीय रूप से पर्चा भरने का ऐलान कर दिया था। संगठन के आला नेताओं की समझाइश पर उन्होंने ऐनवक्त पर पर्चा तो नहीं भरा पर वे और उनके समर्थक अब घर बैठ गए हैं। पिछले चुनाव में दो लाख से अधिक मतों से जीतने वाले दलपत सिंह के परिवार का जनाधार पार्टी जानती है। वह इस परिवार को सक्रिय करने के लिए जतन कर रही है। 

दूसरी तरफ टिकट की दावेदारी कर रहे पूर्व प्रदेश पदाधिकारी नरेन्द्र मरावी और सुदामा सिंह भी टिकट न मिलने से नाराज बताए जा रहे हैं। नरेन्द्र मरावी को पार्टी एक बार लोकसभा में मौका दे चुकी है और वे महज 13 सौ मतों से ही चुनाव हारे थे। नरेन्द्र और सुदामा सिंह की नाराजगी अभी भी कम नही हुई है। इसके अलावा अनूपपुर में ज्ञान सिंह की उम्मीदवारी को लेकर जिले के कई अन्य नेता भी खुश नहीं है, वे अपनी नाराजगी का इजहार भी संगठन नेताओं के सामने कर चुके हैं। अनूपपुर भाजपा दफ्तर में ज्ञान सिंह की उम्मीदवारी को लेकर विरोध प्रदर्शन भी हो चुका है।

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