भोपाल। खबरों की सुर्खियों में बने रहना आईएएस राधेश्याम जुलानिया की आदत में शुमार है। वो हर महीने कुछ ना कुछ ऐसा जरूर करते हैं कि सुर्खियां बन जाए। इस बार आर्बिटेशन के प्रकरणों में सुनवाई पर रोक लगा दी। आईएएस रमेश थेटे का कहना है कि इसके लिए मंत्री की अनुमति अनिवार्य है परंतु जुलानिया ने ऐसा नहीं किया।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव राधेश्याम जुलानिया ने आर्बिटेशन के प्रकरणों में सुनवाई को रोक दिया। जबकि मंत्री गोपाल भार्गव के निर्देश पर जनवरी 2016 में ही तत्कालीन अपर मुख्य सचिव अरुणा शर्मा ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव को आर्बिटेशन नियुक्त किया था। इस समय सचिव आईएएस अफसर रमेश थेटे हैं। वे ही यह काम देख रहे थे, लेकिन गुरुवार को जुलानिया ने इसकी सुनवाई पर रोक लगा दी।
थेटे ने जुलानिया के इस आदेश को हाईकोर्ट की अवमानना व मंत्री के प्रति असम्मान बताया है। थेटे का कहना है कि मैं चुपचाप हूं, लेकिन इसे यह न समझा जाए कि मैंने हाथों में चूड़ियां पहन रखी हैं।
थेटे ने शुक्रवार को मंत्री भार्गव को जानकारी देते हुए नोटशीट में लिखा कि बिना मंत्री के अनुमोदन के अपर मुख्य सचिव ने आदेश जारी किया है, जो ठीक नहीं है। मंत्री के प्रशासकीय अनुमोदन के बाद ही सचिव को आर्बिट्रेटर नियुक्त किया था। जुलानिया ने मंत्री की बिना जानकारी के आदेश निकाला है। इस बारे में पूछने के लिए जुलानिया से संपर्क किया गया, लेकिन वे उपलब्ध नहीं हो सके।