नई दिल्ली। देशभर में जहां दशहरे पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, 26/11 के मास्टरमाइंड हाफिज सईद और कई अन्य आतंकी संगठनों के मुखिया और रावण के पुतलों का दहन किया गया वहीं जेएनयू के छात्रों के एक वर्ग ने रावण के पुतले के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा प्रमुख अमित शाह के पुतले भी जलाये।
कांग्रेस से जुड़ी नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन आफ इंडिया (एनएसयूआई) के सदस्यों ने कल रात रावण के तौर पर मोदी का पुतला जलाकर दशहरा मनाया। एनएसयूआई ने दावा किया कि यह केन्द्र द्वारा अपने वादों को पूरा करने में विफलता और देशभर में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों पर सतत हमले के खिलाफ उसका विरोध था।
इनके भी पुतले जलाए
इन पुतलों में मोदी और शाह के चेहरों के अलावा योग गुरु रामदेव, साध्वी प्रज्ञा, नाथूराम गोडसे, आसाराम बापू और जेएनयू के कुलपति जगदीश कुमार के चेहरे थे। छात्रों ने हाथों में तख्तियां भी ले रखी थी जिन पर नारा लिखा था, ‘‘बुराई पर सच्चाई की विजय’’।
अनुमति पर प्रशासन ने साधी चुप्पी
एनएसयूआई के कार्यकर्ता सन्नी दिमान ने कहा, ‘‘ यह पुतला दहन मौजूदा सरकार के साथ हमारे असंतोष का प्रतीक था। इसके पीछे का विचार राजकाज से बुराइयों को उखाड़ फेंकना और विद्यार्थियों व लोगों के अनुकूल व्यवस्था लाना है।’’ यह पुतला दहन जेएनयू परिसर में प्रसिद्ध सरस्वती ढाबा में किया गया। संपर्क किए जाने पर विश्वविद्यालय के अधिकारी इस बात पर चुप रहे कि क्या इन विद्यार्थियों ने इसके लिए अनुमति ली थी या नहीं।
कांग्रेस से जुड़ी नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन आफ इंडिया (एनएसयूआई) के सदस्यों ने कल रात रावण के तौर पर मोदी का पुतला जलाकर दशहरा मनाया। एनएसयूआई ने दावा किया कि यह केन्द्र द्वारा अपने वादों को पूरा करने में विफलता और देशभर में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों पर सतत हमले के खिलाफ उसका विरोध था।
इनके भी पुतले जलाए
इन पुतलों में मोदी और शाह के चेहरों के अलावा योग गुरु रामदेव, साध्वी प्रज्ञा, नाथूराम गोडसे, आसाराम बापू और जेएनयू के कुलपति जगदीश कुमार के चेहरे थे। छात्रों ने हाथों में तख्तियां भी ले रखी थी जिन पर नारा लिखा था, ‘‘बुराई पर सच्चाई की विजय’’।
अनुमति पर प्रशासन ने साधी चुप्पी
एनएसयूआई के कार्यकर्ता सन्नी दिमान ने कहा, ‘‘ यह पुतला दहन मौजूदा सरकार के साथ हमारे असंतोष का प्रतीक था। इसके पीछे का विचार राजकाज से बुराइयों को उखाड़ फेंकना और विद्यार्थियों व लोगों के अनुकूल व्यवस्था लाना है।’’ यह पुतला दहन जेएनयू परिसर में प्रसिद्ध सरस्वती ढाबा में किया गया। संपर्क किए जाने पर विश्वविद्यालय के अधिकारी इस बात पर चुप रहे कि क्या इन विद्यार्थियों ने इसके लिए अनुमति ली थी या नहीं।