
बताया जा रहा है कि हिमाद्री का टिकट खुद राहुल गांधी ने फाइनल किया है। हिमाद्री इस सीट के लिए राहुल गांधी की पहली पसंद थीं। सूत्र बताते हैं कि टिकट फाइनल होने से पहले राहुल गांधी से हिमाद्री की चर्चा भी हुई। शायद इसीलिए हिमाद्री खुद को बड़ा नेता मानने लगीं हैं। उनका यह व्यवहार निश्चित रूप से कांग्रेस में असंतोष पैदा कर सकता है।
भाजपा ने शहडोल से मंत्री ज्ञान सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। इसकी उम्मीद पहले से ही जताई जा रही थी और यह भी समझा जा रहा है कि ज्ञान सिंह, हिमाद्री के सामने काफी कमजोर केंडिडेट हैं। बताया यह भी गया है कि ज्ञान सिंह ने पहले चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था लेकिन जब संगठन और सरकार की ओर से प्रेशर आया तो वो राजी हो गए। चर्चा है कि ज्ञान सिंह का नाम घोषित होते ही यह सीट हिमाद्री के खाते में जाती दिखाई दे रही है। शायद इसीलिए हिमाद्री का व्यवहार बदल गया है। वो मतदान से पहले ही खुद को निर्वाचित सांसद समझ रहीं हैं।
कौन है हिमाद्री सिंह
29 साल की हिमाद्री ने हाईस्कूल नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ ओपन स्कूल नईदिल्ली से 2008 में सीनियर हायर सेकेंड्री '12वीं' पास एवं मोनाद यूनिवर्सिटी दिल्ली, हापुड़ उत्तरप्रदेश से 2012 में बीए पास किया है। सामान्यत: बताया जाता है कि हिमाद्री ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है परंतु ऐसा नहीं है। उनके पिता दलवीर सिंह पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी की सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर थे और मां राजेश नंदनी सिंह भी शहडोल से सांसद रह चुकी हैं। इसी के चलते हिमाद्री भी कांग्रेस में सक्रिय हो गईं। वे मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रेसिडेंट अरुण यादव से साथ कई बार पार्टी के प्रोग्राम्स में नजर आ चुकी हैं। बताते हैं कि उनके पिता दलवीर सिंह की शहडोल के आदिवासी अंचल में काफी पकड़ थी। इसका लाभ उनकी मां को भी मिला और अनुमान लगाया जा रहा है कि यही फायदा हिमाद्री को भी होगा।
सोनिया गांधी ने बुलाया था मिलने
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो हिमाद्री को कुछ दिन पहले कांग्रेस प्रेसिडेंट सोनिया गांधी ने 10 जनपथ बुलाया था। सोनिया और उनके बीच शहडोल लोकसभा उपचुनाव को लेकर काफी लंबी बातचीत हुई थी। इस मीटिंग में ही यह तय हो गया था कि वे ही शहडोल से लोकसभा का उपचुनाव लड़ेंगी।
राहुल गांधी ने किया सिलेक्शन
दरअसल राहुल ज्यादा से ज्यादा युवाओं को राजनीति में आगे लाना चाहते हैं, जिसके चलते उन्होंने हिमाद्री का सिलेक्शन किया। पार्टी का मानना है कि वे युवा आदिवासी चेहरे के तौर पर चुनाव जिताने वाली उम्मीदवार साबित हो सकती हैं। उनके नाम पर प्रदेश के सभी दिग्गज नेताओं ने अपनी सहमति पहले ही दे दी थी।