
अभिभावकों ने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से यह शिकायत की है। सरकार ने पिछले चार माह में करीब 700 स्कूलों को अपग्रेड किया है। सभी में एक जैसे हालात हैं। कई स्कूलों में जहां हाईस्कूल की नौवीं क्लास शुरू करने के लिए जगह नहीं मिल रही है, वहीं शिक्षक किसी भी स्कूल में नहीं हैं।
इसलिए मिडिल स्कूल के शिक्षकों को ही पढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। कुछ स्कूलों में अतिथि शिक्षक भी रखे गए हैं। अभिभावक दोनों की परफार्मेंस से खुश नहीं हैं।
ऐसे तो बिगड़ जाएगा रिजल्ट
आरटीई में मिडिल तक परीक्षा नहीं लेने का प्रावधान है। ऐसे में सरकारी स्कूलों में आठवीं तक पढ़ाई के स्तर का ग्राफ नीचे गया है। तभी तो 8वीं पास करने वाले छात्रों को नौवीं में एडमिशन देने से पहले प्रवेश परीक्षा कराई जाती है। शिक्षाविद् कहते हैं कि जब मिडिल स्कूल के शिक्षक ही पढ़ाएंगे, तो नौवीं के रिजल्ट का क्या होगा और यदि नौवीं में पढ़ाई ठीक नहीं हुई, तो हाईस्कूल का रिजल्ट बिगड़ना तय है।
पहले से प्लानिंग की जाती है
शिक्षाविद् प्रो. रमेश दवे कहते हैं कि कोई भी काम शुरू करने से पहले प्लानिंग की जाती है, लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग में इसका अभाव है। तभी तो शिक्षकों की व्यवस्था किए बगैर स्कूलों को अपग्रेड कर दिया। लाजमी है छोटी कक्षा के शिक्षक छात्रों को क्या पढ़ाएंगे और रिजल्ट तो बिगड़ेगा ही। राज्य शिक्षा केंद्र की पाठ्यपुस्तक स्थाई समिति के सदस्य डॉ. भागीरथ कुमरावत भी निर्णय लेने से पहले प्लानिंग पर जोर देते हैं। वे कहते हैं कि जब तक सभी इंतजाम न हो। आगे कदम नहीं बढ़ाना चाहिए।
ज्यादातर स्कूलों में अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था कर दी है। कुछ जगह ऐसे हालात हो सकते हैं कि मिडिल के शिक्षक को पढ़ाना पड़ रहा हो। हम जल्द ही वहां भी व्यवस्था कर रहे हैं। शिक्षकों की भर्ती भी जल्द की जा रही है।
दीपक जोशी, राज्यमंत्री, स्कूल शिक्षा विभाग