शिक्षा विभाग के घूसखोर अकाउंटेंट को 4 साल की जेल

श्योपुर। जिला शिक्षा विभाग के तत्कालीन एकाउंटेंट रामकुमार कुशवाहा को रिश्वत लेने के एक मामले में जिला न्यायालय ने बुधवार को चार साल के कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही साढ़े सात हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। बाबू ने एक वरिष्ठ अध्यापक से रिश्वत ली थी।

यह मामला 15 मई 2014 का है। शासकीय कन्या उमावि विजयपुर में पदस्थ वरिष्ठ अध्यापक प्रदीप शर्मा को विभाग ने माशिमं बोर्ड परीक्षा में अंबिका हाइस्कूल इकलौद का सहायक केंद्राध्यक्ष बनाया था। लेकिन परीक्षा के दौरान ही प्रदीप शर्मा ने तत्कालीन डीइओ हरिओम चतुर्वेदी को पत्र लिखकर नकल माफिया द्वारा दबाव बनाने की बात कही थी। इस मामले को अनुशासनहीनता मानते हुए जिला शिक्षाधिकारी की ओर से प्रदीप शर्मा को नोटिस जारी किया गया था। इस मामले को निपटाने के एवज में करीब एक माह से प्रदीप से डीइओ कार्यालय के एकाउंटेंट और स्थापना शाखा प्रभारी रामकुमार सिंह कुशवाह 20 हजार रुपए की रिश्वत मांग रहे थे। 12 मई 2014 को प्रदीप शर्मा ने रिश्वत मांगने की शिकायत लोकायुक्त पुलिस से की थी।

जब एकाउंटेंट रामकुमार सिंह द्वारा प्रदीप से मांगी जा रही रिश्वत की बातचीत रिकॉर्ड हुर्ई तो लोकायुक्त ने आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। बातचीत में 12 हजार रुपए में लेनदेन होना तय हुआ था। 15 मई की सुबह 11 बजे पांच-पांच सौ रुपए के पाउडर लगे नोट प्रदीप शर्मा के एकाउंटेंट रामकुमार सिंह को थमाते ही लोकायुक्त टीम ने आरोपी को दबोच लिया। लोकायुक्त ने आरोपी के खिलाफ धारा 7, 13 (1), 13 (2) पीसी एक्ट 1988 के तहत मामला दर्ज कर चालान कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने बाबू को चार साल के कारावास और साढ़े सात हजार रुपए का आर्थिक दंड की सजा सुनाई है।

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