
कंपनी ने आज हाईकोर्ट में दावा किया कि यूजर्स का अकाउंट बंद होने के बाद व्यक्ति के बारे में सूचना उसके सर्वर पर नहीं रह जाती है। व्हाट्सएप ने यह बात उस याचिका के जवाब में कही जो उसकी नयी पॉलिसी को चुनौती देते हुए दायर की गयी है।
जस्टिस जी रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने व्हाट्सएप से सवाल पूछा था कि यूजर्स की सूचनायें अकाउंट बंद होने के बाद भी बनी रहती हैं। कंपनी ने कहा कि यदि कोई मैसेज रिसीवर को मिल जाता है तो वह उसे अपने सर्वर से हटा देती है और अगर मैसेज डिलीवर नहीं हो पाता है तो वह इसे अपने सर्वर पर 30 दिन तक रखती है। कंपनी ने कहा कि यदि मैसेज 30 दिन बाद भी डिलीवर नहीं हो सका तो इसे हटा दिया जाता है।
व्हाट्सएप के इस बयान का याचिकाकर्ताओं ने विरोध किया। याचिकाकर्ताओं ने व्हाट्स एप की नयी नंबर शेयरिंग पॉलिसी का विरोध किया था और कहा कि कंपनी के हलफनामे के अनुसार सूचना को लम्बे समय तक बरकरार रखा जाता है। याचिकाकर्ताओं और व्हाट्सएप की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा कि वह 23 सितंबर को अपना आदेश सुनायेगी।
याचिकाकर्ता कर्मण्या सिंह सरीन और श्रेया सेठी की तरफ से पेश होते हुए वरिष्ठ वकील प्रतिभा एम सिंह ने अदालत को बताया कि जहां व्हाट्सएप ने हलफनामे में दावा किया है कि वह मैसेज को नहीं रखता है वहीं यह कंपनी के इस जवाब का विरोधाभासी है कि वह परफॉमेंस को बेहतर बनाने के लिए मैसेज को लंबे समय तक रख सकती है। व्हाट्सएप ने 14 सितंबर को उस याचिका का विरोध किया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसके यूजर्स की प्राइवेसी को फेसबुक शेयरिंग पॉलिसी से प्राइवेसी को खतरा है।
व्हाट्स एप ने 25 अगस्त को अपनी पॉलिसी में व्यापक बदलाव किया था. फेसबुक के अधिग्रहण के बाद से यह पहला बदलाव था. इसमें यूजर्स को यह विकल्प दिया गया कि वे अपने अकाउंट की जानकारी फेसबुक पर साझा कर सकते हैं। उसने अपने यूजर्स को नीति से हटने के लिए 25 सितंबर तक 30 दिनों का समय दिया था।