
भाजपा सांसद ने साफ कहा कि मदर टेरेसा ने सैकड़ों नाबालिग बच्चों का गैर मर्जी से धर्म परिवर्तन करने का अपराध किया है, जो दुनिया के कानून के लिहाज से गलत है। ऐसे में उन्हें संत की उपाधि देना भी आपत्तिजनक है। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति के धर्म परिवर्तन से पहले उसकी रजामंदी जरूरी है, जबकि टेरेसा ने नाबालिग बच्चों से पूछे बिना उनका धर्मांतरण करा दिया।
वहीं, उन्होंने सेवा के मामले में बाबा आमटे, कैलाश सत्यार्थी, अन्ना हजारे और विनोबा भावे का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि पहले भी कई समाज सुधारकों ने देश की सेवा का काम किया है, लेकिन सेवा के बदले उपाधि लेने का यह चलन खासा आपत्तिजनक है। मदर टेरेसा को संत को उपाधि देने के मामले में रोमन कैथोलिक के अनुयायियों की इस नई परंपरा पर भी आपत्ति उठाई है। हालांकि, सांसद ने बाद में मामले को संभालते हुए मदर की सेवा भावना को सराहा है।
गौरतलब है कि संत मदर टेरेसा को 4 सितंबर को रोम की वेटिकन सिटी में संत की उपाधि दी गई। उन्हें यह उपाधि दो चमत्कार के बाद दी गई है। पहले चमत्कार में उन्होंने मोनिका बेसरा नाम की महिला के पेट का अल्सर ठीक किया था। दूसरा चमत्कार ब्राजील के एक शख्स की ब्रेन डिसीज का था। इस व्यक्ति के परिवार ने टेरेसा से प्रार्थना की और ठीक हो गया था।