
बता दें कि एनजीटी के आदेश पर स्लाटर हाउस शिफ्ट किया जाना था परंतु इसे अत्याधुनिक कत्लखाने में तब्दील कर दिया गया। यूपी के एक बसपा विधायक की प्राइवेट कंपनी के डील कर ली गई और उसे 250 करोड़ की जमीन देने की तैयारी भी कर ली गई। फटाफट सरकारी फाइलें तैयार हुईं, जिसमें कंपनी को पशुओं के कत्ल की खुली छूट दी गई। कंपनी चाहे तो गाय भी काट सकती है। कंपनी ने यहां प्रतिदिन 1500 पशुओं को कत्ल करने की योजना बनाई। कुल मिलाकर भोपाल को भारत की एक बड़ी 'मांस मंडी' बनाने की तैयारी हो गई है।
इसलिए नाराज हुए महापौर
मेट्रो के लिए आरक्षित स्टड फार्म की बेशकीमती जमीन स्लाटर हाउस के लिए देने का हलफनामा देने के पहले अधिकारियों ने शहर के किसी भी नेता से चर्चा नहीं की। महापौर स्वयं ही मेट्रो के डायरेक्टर भी हैं। महापौर आलोक शर्मा ने कहा कि भोपाल से मांस निर्यात किसी भी कीमत पर नहीं होगा। पहले इस संबंध में शहर के सांसद, विधायकों, पार्षदों, रहवासी संगठनों एवं जनता से चर्चा की जाएगी। संशोधन के बाद ही एमआईसी में प्रस्ताव आएगा और बाद में परिषद में सभी 85 पार्षद अपनी राय रखेंगे। इसके बाद ही इसका फैसला होगा। एमआईसी की इच्छा है कि इस मामले में सुप्रीमकोर्ट की गाइड लाइन का पालन हो यानि स्लाटर हाउस शहर से बाहर बने। अभी एनजीटी ने जो आदेश दिया है, उसके तहत स्लाटर हाउस चल रहा है।
ये हैं सुझाव और नेताप्रतिपक्ष का बयान
केवल भोपाल की जरूरत के अनुसार ही स्लाटिंग की जाएगी। प्राइवेट कंपनी की वजाय वर्तमान में चल रही व्यवस्था ही चलाई जाए। इसे वर्तमान स्थान 3 एकड़ में ही रखा जाए या फिर औद्योगिक क्षेत्र में लगाए जाए। नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष और कुरैशी समाज का प्रतिनिधित्व कर रहे मो. सगीर ने कहा कि शहर के बाहर हो या शहर के अंदर स्लाटर हाउस की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि व्यवसाय से जुड़े लोग बेरोजगार न हों।