
जानकारी के अनुसार सिरनाम सिंह शर्मा निवासी गोहद जिला भिंड जो कि उस समय पटवारी के पद पर पदस्थ थे, ने गोहद के ही बाबूलाल आदिवासी को तहसील में ले जाकर फर्जी तरीके से अपने बेटे सुनील का गोदनामा बनवा दिया। इसके बाद आरोपी सुनील शर्मा ने अपना सरनेम बदलकर सहरिया कर दिया और सहारिया जाति का प्रमाणपत्र बनवा कर पीएमटी की परीक्षा में लगा दिया। जिससे सुनील का डॉक्टर के लिये चयन हो गया।
उक्त डॉक्टर द्वारा शिवपुरी के जिला चिकित्सालय में 19 अप्रेल 2011 से 21 सितंबर 2016 तक डॉक्टर के रूप में पदस्थ रहा। जब एसटीएफ ने उक्त फर्जी डॉक्टर की जांच की तो इसके जातिप्रमाण पत्र फर्जी पाये गये। उक्त डॉक्टर द्वारा अपने पिता सिरनाम शर्मा का नाम भी बदल दिया और यह अपने पिता का नाम बाबू आदिवासी लिखने लगा।
जब पुलिस ने बाबू आदिवासी से पूछताछ की तो सामने आया कि गोहद में पदस्थ पटवारी सिरनाम शर्मा द्वारा उसे तहसील पर ले जाकर यह कहा कि इस कागज पर साईन कर देगा तो मेरे बेटे की नौकरी जल्दी लग जायेगी।
बेचारे बाबू आदिवासी से उक्त गोदनामें पर साईन करा लिये और नौकरी हासिल कर ली। इस मामले की जांच एसटीएफ ग्वालियर के निरीक्षक जितेन्द्र सिंह कुशवाह कर रहे थे। इस मामले में जांच के बाद शिवपुरी सिटी कोतवाली पुलिस ने आरोपी डॉक्टर सुनील सहरिया के खिलाफ धारा 420,467,468 ताहि के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
विदित हो कि उक्त डॉक्टर के पिता पहले पटवारी थे उसके बाद यह बैराड़ में नायब तहसीलदार के पद पर पदस्थ रहे। बैराड़ के बाद सिरनाम शर्मा का तबादला करैरा नायब तहसीलदार के रूप में हो गया जहॉ से यह रिटार्यर हो गया।