धनवान किसानों का एक गांव जहां ना घर पक्का है, ना शौचालय | धामिक मान्यता

भोपाल। मप्र के गुना जिले में एक गांव है पिपरौदा केशराज। इस गांव के किसान काफी सम्पन्न हैं। लगभग हर घर में एलईडी, फ्रिज, वाशिंग मशीन जैसे अत्याधुनिक उपकरण हैं परंतु इस गांव के सारे घर कच्चे हैं, किसी में भी शौचालय नहीं है। कारण, सैंकड़ों साल पहले इस गांव को लगा एक श्राप जो आज भी प्रभावी है। 

एमपी के गुना जिले की इमझरा पंचायत के दो हजार की आबादी वाले 250 घरों के गांव पिपरौदा केशराज के लोग समृद्ध होने पर भी कच्चे मकानों में ही रहते हैं। यहां तक कि उनके घर में कार, एलईडी, फ्रिज जैसी भी कई सुविधाएं हैं लेकिन फिर भी वो सीमेंट के पक्के मकान बनाने के बारे में सोचते तक नहीं हैं।

ग्रामीणों की माने तो एक सती के श्राप के कारण गांव में कोई भी निर्माण कार्य के लिए सीमेंट का उपयोग नहीं करता है। उन्होंने बताया कि सैंकड़ों साल पहले गांव में दो पक्षों में विवाद हो गया था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। पति की मौत के बाद उसकी पत्नी भी सती होना चाहती थी, लेकिन ग्रामीणों ने उसे ऐसा करने से रोका और पक्के मकान में बंद कर दिया।

जब पति के शव को मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया तो उसकी चिता आग नहीं पकड़ रही थी। इस बीच महिला मकान के दरवाजे की कुंडी तोड़ वहां आ पहुंची और उसने चिता पर बैठकर अपने पति के सिर को गोद में रख लिया। इसके बाद चिता में आग लग गई।

जलती हुई चिता से महिला ने गांव को श्राप दिया कि उन्होंने उसे पक्के मकान में बंद कर पति से दूर करने की कोशिश की, अब से जो भी पक्के मकान बनाएगा वो बर्बाद हो जाएगा। श्राप को अनदेखा कर कई लोगों ने पक्के मकान बनाए, लेकिन या तो उनका परिवार ही खत्म हो गया या फिर वो बड़ी मुसीबत में फंस गए। इसके कारण अब गांव में कोई भी निर्माण कार्य सीमेंट से नहीं होता है। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि सरकारी, धार्मिक आदि निर्माण कार्यों पर ये श्राप नहीं लगता।

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