
मामला हमीदिया अस्पताल का है। जहां सिस्टम नाम की कोई चीज ही नहीं है। हमीदिया अस्पताल में 45 साल के राजेन्द्र नाम के एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। उसके साथ सिर्फ उसकी 75 साल की बूढ़ी मां थी। बेटे की मौत के बाद वो बुजुर्ग महिला घंटों चक्कर लगाती रही लेकिन घर तक डेड बॉडी पहुंचाने के लिए अस्पताल प्रशासन तैयार नहीं हुआ। परेशान महिला अपने नसीब को कोसते हुए थकहार कर बैठ गई।
देर रात डेढ़ बजे जब अमजद ने इस मां को फूट फूटकर रोते देखा और मसला जाना तो इन्होने अस्पताल प्रबन्धन से मदद करने को कहा, लेकिन एंबुलेंस नहीं दी गई। इन्होंने स्ट्रेचर मांगा लेकिन वो भी नहीं दिया गया। ये खुद मर्चुरी गए। अपने हाथों में उठाकर उसके बेटे की बॉडी लेकर आए और प्राइवेट एम्बुलेंस बुलाकर उस महिला को बेटे के शव के साथ रवाना किया। जब इनसे बात की, तो इनका जवाब था कि उस महिला की जगह जो भी अपनी अम्मी को रखकर देखता, वो यही करता।
बताते चलें कि बात बात पर अपनी सेल्फी लेकर अपलोड करने वाले इस युग में अमजद ने अपना कोई फोटो नहीं लिया और ना ही सोशल मीडिया पर इस मानवता का श्रेय लूटने की कोशिश की। यह खबर दोस्त दर दोस्त होते हुए जीन्यूज के पत्रकार प्रवीण दुबे तक पहुंची और वहीं से हमने लिफ्ट कराई है।