सागर युनिवर्सिटी: वार्डन ने बिना वजह 3 साल पुराने छात्र को निकाला

भोपाल। मामला सरकारी विश्वविद्यालयों में वार्डन की मनमानी का है। डॉक्टर हरि सिंह गौर यूनिवर्सिटी में कानून की पड़ाई करने वाले एक स्टूडेंट को लगातार 3 साल हॉस्टल में रहने के बाद केवल इसलिए निकाल दिया गया क्योंकि वार्डन को वह स्टूडेंट पसंद नहीं था। स्टूडेंट को मौखिक रूप से बताया गया कि उसने अनुशासनहीनता की है। इसलिए चालू शिक्षण सत्र में उसे हॉस्टल नहीं दिया जाएगा जब​कि उसकी कक्षा के प्रोफेसर्स को उससे कोई शिकायत नहीं है। 

पीड़ित छात्र सौरभ देव पांडेय ने भोपाल समाचार को भेजे शिकायती ईमेल में लिखा है कि 'मै पिछले तीन वर्षो से विश्वविद्यालय के टैगोर छात्रावास में रह रहा हूँ। पर अब 7th सेमेस्टर में छात्रावास प्रशासन ने मुझे अभी तक छात्रावास में कक्ष आवंटित नही किया है जबकि सत्र शुरू हुए डेढ़ महीने हो चुके है। उनका कहना है की मैंने अनुशासन हीनता की है। जबकि मैंने ऐसा कुछ किया हो ऐसा प्रमाणित करने वाला कोई साक्ष्य नही है और ना ही पुलिस में मेरी कोई शिकायत या कोर्ट में कोई आपराधिक मामला लंबित है। मुझे बेवजह तंग किया जा रहा है। मै मानसिक रूप से बहुत प्रताड़ित हो चूका हूँ। मैंने इस सम्बन्ध में चीफ वार्डन को भी आवेदन पत्र दिया पर कोई जवाब नही आया। कुलपति जी से भी निवेदन किया लेकिन मदद नहीं मिली। 

इस संदर्भ में जब भोपाल समाचार ने हॉस्टल के चीफ वार्डन प्रो एसके गुप्ता से बात की तो उन्होंने स्वीकार किया कि पिछले 3 साल में सौरभ को अनुशासनहीनता के लिए कोई नोटिस नही दिया गया। उसके खिलाफ किसी छात्र ने एफआईआर भी नहीं करवाई और ना ही कोई विवाद जांच में है। फिर भी छात्र को कक्ष आवंटित क्यों नहीं किया गया इस प्रश्न पर प्रो. गुप्ता चुप रह गए। प्रो. गुप्ता से हुई बातचीत की आॅडियो रिकॉर्डिंग सुरक्षित कर ली गईं हैं। इस मामले को भोपाल समाचार ने उच्च शिक्षामंत्री जयभान सिंह पवैया एवं राज्यपाल महोदय, मध्यप्रदेश की ओर प्रेषित कर दिया है। देखते हैं, उच्च शिक्षामंत्री/राज्यपाल महोदय हॉस्टल में चल रहीं वार्डन की मनमानियों पर क्या कोई कदम उठाते हैं। 

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