अब RSS सुप्रीमो भी दलित के घर खाना खाएंगे

नईदिल्ली। उत्तरप्रदेश चुनाव जीतने के लिए आरएसएस क्या क्या जतन नहीं कर रही है। भाजपा की हर बिगड़ी बात बनाने के लिए आरएसएस किसी भी तरह के समझौते करने को तैयार है। आरएसएस सुप्रीमो मोहन भागवत की छवि दलित विरोधी है, और इसका नुक्सान भाजपा को चुनावों में हो सकता है अत: अब मोहन भागवत को भी दलित प्रेमी प्रमाणित कराने का प्रयास किया जा रहा है। इसी क्रम में भागवत आगरा में एक दलित कार्यकर्ता के घर दलितों के साथ बैठकर भोजन करेंगे। 

20 अगस्त को भागवत अपने पांच दिवसीय दौरे पर आगरा आएंगे। कार्यक्रम के आखिरी दिन 24 अगस्त को वे दलित कार्यकर्ता के घर पर दोपहर का खाना खाएंगे। जानकारी के अनुसार, आरएसएस के दलित कार्यकर्ता राजेंद्र चौधरी के घर पर ही वे खाना खाएंगे। 

भागवत क्यों हुए दलित विरोधी
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मोहन भागवत ने एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने आरक्षण पर पुनर्विचार की बात कही थी। इस बयान को तब आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने खूब भुनाया और बाजी को पलट दी थी। लालू ने अपनी जनसभाओं में पब्लिक को बताया कि भाजपा दलित और पिछड़ों की पक्षधर नहीं है। इसलिए केंद्र सरकार पर आरक्षण खत्म करने के लिए आरएसएस दबाब बना रहा है।

बिहार विधानसभा चुनाव में दलित और पिछड़ी जातियों ने भाजपा का जमकर विरोध किया। नतीजा भाजपा को बिहार के दंगल में मुंह की खानी पड़ी। जेडीयू और आरजेडी गठबंधन में ताकत और दोनों ने बिहार में मिलकर सरकार बनाई। बिहार में हुई हार के लिए भाजपा नेताओं ने दबी आवाज में आरएसएस को ही जिम्मेदार ठहराया था।

यूपी में समझौता क्यों
यूपी में दलित और पिछड़े वर्ग का बड़ा वोटबैंक है। इनके बिना चुनाव नहीं जीता जा सकता। वैसे भी ब्राह्मण और सवर्ण वोट पर कब्जा करने की रणनीति कांग्रेस ने बना ली है। यहां से बल्क वोटिंग की संभावना कम हो गई है। अत: आरएसएस का अनुमान है कि अपने पारंपरिक वोट के साथ यदि मायावती के घर में सेंधमारी कर ली जाए तो यह आसान होगा और चुनाव जीता जा सकेगा। 

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