
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत में पुरुष अपनी पहले से उपलब्ध छुट्टियों का उपयोग अपने बच्चों की देखभाल के लिए नहीं करते। यदि पुरुष मुझे एक उरदाहरण दे दें कि उन्होंने अपनी सिक लीव का उपयोग अपने बच्चों की देखभाल के लिए किया हो तो हा हम पितृत्व अवकाश का प्रस्ताव लाने पर विचार करेंगे।
बता दें कि यह बयान तब आया है जब हाल के दिनों में राज्य सभा में मातृत्व अवकाश से जुड़ा बिल पास होने के बाद सांसदों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने पितृत्व अवकाश को लेकर भी मांग उठाई थी। मेनका के इस बयान के बाद सोशल मीडिया में जमकर विरोध हो रहा है।
यह कहा लोगों ने
एक यूजर दीपिका भारद्वाज ने लिखा है कि इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए की आने वाले दिनों में मेनका गांधी यह कह दें कि बच्चों के विकास में पिता की कोई भूमिका नहीं होती। मां ही सबकुछ करती है।
वहीं जागृति शुक्ला ने लिखा है कि मेनका कहती हैं पितृत्व अवकाश पुरुषों के लिए केवल छुट्टियों की तरह होगा। वो कुछ नहीं करेंगे। हो सकता है उन्हें लगता है कि बच्चे के जन्म के बाद केवल स्तनपान ही करवाना होता है और कुछ नहीं। दीप्तांशु शुक्ला ने लिखा है कि मेनका गांधी पुरुषों से नफरत करने के लिए जानी जाती हैं। उन्हें मंत्री पद से हटा देना चाहिए।