
मूर्ति यहां पर सिटी सिस्टम पर लेक्चर देने पहुंचे थे और इस दौरान उन्होंने कई देशों का जिक्र करते हुए बताया कि क्यों भारत के शहर विश्वस्तर के बनने में पिछड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती हमारे सामने है और वो कोई नेता या कर्मचारी नहीं बल्कि हम खुद हैं। हम भारतीयों को अपनी उपलब्धियों को सबसे ज्यादा घमंड होता है। मैं विनम्रता से कहना चाहता हूं कि हमें खुले दिमाग का बनना पड़ेगा उनके प्रति जो हमसे बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।
मूर्ति ने कई सरकारों के साथ किए काम की बात करते हुए यह कहा कि किसी न किसी कारण से चीजें तेजी से नहीं हो पाती। उन्होंने बताया कि नंदन निलेकणी जो इन्फोसिस के सह-संस्थापक और आधार कार्ड के लिए जाने जाते हैं उन्हें भी दिल्ली में काम करते हुए इस तरह के अनुभवों का सामना करना पड़ा।
मूर्ति ने कहा, नंदन कुछ समय पहले आधार की डिजायनिंग और उसे लागू करने पर लेक्चर दे रहे थे। किसी ने पूछा कि दिल्ली में काम करना कितना कठीन था। तब नंदन ने जवाब दिया कि सबसे पहली बाधा यह थी कि वो कहते हैं हम सब जानते हैं। सबसे बड़ी मुश्किल जो थी कि वो कहते हैं हम पहले से यह सब कर रहे हैं ऐसे में कुछ और करने को नहीं रहता।
मूर्ति ने थाईलैंड के पीएम के साथ एक आईटी एडवायजर के रूप में एक दशक पहले के अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उनके अधिकारी प्रेजेंटेशन बनाते थे और में उन्हें सलाह देता था, वो उसे लिख लेते। अगली बार में जब जाता तो वो मुझे बताते कि कैसे उन्होंने मेरी बात को लागू किया।